Samachar Post डेस्क,बिहार :नीतीश कुमार की नई सरकार में मुस्लिम प्रतिनिधित्व की पूरी जिम्मेदारी इस बार भी मोहम्मद जमा खान के कंधों पर आ गई है। पटना के गांधी मैदान में हुए शपथग्रहण समारोह में जब नीतीश कुमार ने 10वीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, तो उनकी 26 सदस्यीय कैबिनेट में सबसे ज्यादा चर्चा एकमात्र मुस्लिम मंत्री जमा खान को लेकर रही।
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कौन हैं मोहम्मद जमा खान?
कैमूर जिले की चैनपुर सीट से लगातार दूसरी बार विधायक बने जमा खान ने इस चुनाव में RJD के बृज किशोर बिंद को 8,362 वोटों से हराया। पिछली सरकार में वे अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री भी रह चुके हैं। जमा खान ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत बसपा से की थी। 2020 में उन्होंने हाथी निशान पर पहली जीत हासिल की और बाद में जेडीयू में शामिल हो गए, जहाँ से उन्हें सीधे मंत्री पद मिला।
इस चुनाव का मुस्लिम प्रतिनिधित्व
इस बार एनडीए को कुल 202 सीटें मिलीं, जिनमें जमा खान ही एकमात्र मुस्लिम विधायक थे। जेडीयू ने पाँच मुस्लिम उम्मीदवार उतारे वही भाजपा ने किसी मुस्लिम को टिकट नहीं दिया इसके बावजूद इस बार विधानसभा में 11 मुस्लिम विधायक जीते, जिनमें AIMIM के पाँच विधायक शामिल हैं।
कैबिनेट में शामिल अन्य मंत्री
भाजपा कोटे से शपथ लेने वाले चेहरे सम्राट चौधरी, विजय कुमार सिन्हा, दिलीप जायसवाल, मंगल पांडेय, राम कृपाल यादव, अरुण शंकर प्रसाद, रमा निषाद, नितिन नबीन और सुरेंद्र प्रसाद मेहता। जेडीयू कोटे से शामिल मंत्री विजय कुमार चौधरी, बिजेंद्र प्रसाद यादव, श्रवण कुमार, अशोक चौधरी, लेशी सिंह, मदन सहनी, सुनील कुमार और मोहम्मद जमा खान। हम से संतोष सुमन और उपेंद्र कुशवाहा के बेटे दीपक प्रकाश को भी मंत्री पद मिला है।
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