Samachar Post रिपोर्टर, देवघर : झारखंड का स्थापना दिवस शुक्रवार को देवघर में उत्साह और गरिमा के साथ मनाया गया। 15 नवंबर 2000 को अलग राज्य के रूप में अस्तित्व में आए झारखंड को पहला मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी मिला था। इसके बाद भाजपा और कांग्रेस समर्थित सरकारों ने राज्य को विकास की दिशा में आगे बढ़ाने का प्रयास किया। झारखंड राज्य गठन के पीछे लंबा संघर्ष और आंदोलन का इतिहास रहा है। संथाल परगना के दिवंगत नेता शिबू सोरेन और मोहनपुर प्रखंड के चंद्रशेखर यादव जैसे आंदोलनकारियों ने राज्य गठन की मांग को गाँव-गाँव तक पहुँचाया था। स्थापना दिवस के अवसर पर देवघर में इन सभी आंदोलनकारियों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। जिला प्रशासन की ओर से नृत्य, संगीत और विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया, जिसमें स्थानीय लोगों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। कार्यक्रमों में स्थानीय कला, संस्कृति और स्वदेशी उत्पादों को विशेष रूप से बढ़ावा दिया गया। साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता अभियान चलाकर लोगों को राज्य सरकार की योजनाओं और उनके लाभों की जानकारी दी गई।
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स्थापना दिवस कार्यक्रम को देखते हुए सुरक्षा के भी पुख्ता इंतजाम किए गए। बाबा बैद्यनाथ मंदिर परिसर और आसपास के क्षेत्रों में अतिरिक्त पुलिस बल की तैनाती की गई, ताकि समारोह शांतिपूर्ण और सौहार्दपूर्ण माहौल में आयोजित हो सके।झारखंड स्थापना दिवस सिर्फ एक तिथि नहीं, बल्कि संघर्ष, विकास और अस्मिता का प्रतीक है, जिसे राज्य के हर कोने में पूरे उत्साह और गर्व के साथ मनाया गया।
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मैंने सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ झारखंड से पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री ली है। पत्रकारिता के क्षेत्र में बतौर रिपोर्टर मेरा अनुभव फिलहाल एक साल से कम है। सामाचार पोस्ट मीडिया के साथ जुड़कर स्टाफ रिपोर्टर के रूप में काम कर रही हूं।