
- डॉ. अरविंद शर्मा ने कहा- न्यूरो अल्ट्रासोनोग्राफी से स्ट्रोक जैसे मामलों में तुरंत इलाज संभव, तकनीक को अपनाएं डॉक्टर
Samachar Post रिपोर्टर, रांची : झारखंड न्यूरोसाइंस सोसायटी द्वारा आयोजित तीन दिवसीय ‘ईस्ट प्रैक्टिकल न्यूरो अपडेट 2025’ और ‘मीड टर्म नेशनल न्यूरोसोनोलॉजी मीट-25’ का रविवार को समापन हुआ। अंतिम दिन का प्रमुख आकर्षण रहा न्यूरोसोनोग्राफी तकनीक पर आधारित विशेष सत्र, जिसमें देशभर से आए न्यूरोलॉजी विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया।
डॉ. अरविंद शर्मा बोलें- स्ट्रोक की स्थिति में हर मिनट कीमती
मुख्य वक्ता डॉ. अरविंद शर्मा ने “एक्यूट इसेमिक स्ट्रोक में वास्कुलर अल्ट्रासाउंड के महत्व” पर जोर देते हुए कहा कि स्ट्रोक की स्थिति में हर मिनट कीमती होता है। सेरेब्रोवास्कुलर अल्ट्रासाउंड की मदद से तुरंत मस्तिष्क में रक्त प्रवाह की स्थिति जानी जा सकती है, जिससे थ्रॉम्बोलाइटिक थेरेपी का समय रहते उपयोग संभव होता है।
डॉ. शर्मा ने बताया कि यह तकनीक ब्रेन की रक्त वाहिकाओं में आए वेसोस्पाज्म, संकरे हो चुके मार्ग या ब्रेन सर्जरी के बाद की निगरानी में भी बेहद कारगर साबित हो रही है। उन्होंने न्यूरोलॉजिस्ट और क्रिटिकल केयर यूनिट्स में कार्यरत डॉक्टरों से आग्रह किया कि वे इस तकनीक को अपनी नियमित चिकित्सा प्रक्रिया में शामिल करें।

बेसिक से लेकर एडवांस तकनीक पर विशेषज्ञों का फोकस
डॉ. विजय शर्मा ने न्यूरो अल्ट्रासाउंड के फिजिक्स, तकनीकी पैरामीटर्स और संभावित त्रुटियों (Artifacts) पर विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि सही ट्रेनिंग के साथ इस तकनीक को प्रभावशाली तरीके से उपयोग में लाया जा सकता है। इसमें ब्रेन स्कैनिंग की सटीकता बढ़ती है और निदान अधिक स्पष्ट हो पाता है।
न्यूरो से जुड़ी तकनीकी चुनौतियों और समाधान पर विस्तृत चर्चा
सम्मेलन में डॉ. प्रदीप मिथिल, डॉ. अमित बत्रा, डॉ. सुर्यनारायण शर्मा और डॉ. अमित कुलकर्णी ने न्यूरो से जुड़ी तकनीकी चुनौतियों और समाधान पर विस्तृत चर्चा की। कार्यक्रम के ऑर्गनाइजिंग सेक्रेट्री डॉ. उज्जवल रॉय ने बताया कि यह आयोजन झारखंड में न्यूरोलॉजी के भविष्य के लिए मील का पत्थर साबित होगा।
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बेहतर तकनीक, तेज निदान- मस्तिष्क रोगों के खिलाफ नई उम्मीद
यह सम्मेलन न सिर्फ चिकित्सकों के लिए ज्ञानवर्धक रहा बल्कि झारखंड जैसे राज्य में उन्नत न्यूरोलॉजिकल जांच और इलाज की दिशा में महत्वपूर्ण कदम भी रहा। विशेषज्ञों की सलाह है कि सरकारी और निजी अस्पतालों को न्यूरो अल्ट्रासोनोग्राफी को अपनी स्वास्थ्य सेवाओं में जल्द शामिल करना चाहिए।