Samachar Post रिपोर्टर, देवघर : बाबा बैद्यनाथ की नगरी देवघर नवरात्र के समय आस्था और श्रद्धा का प्रमुख केंद्र बन जाती है। यहां शक्ति और शिव की एक साथ पूजा होती है, जो इसे देश के अन्य तीर्थ स्थलों से अलग बनाता है। देवघर को 51 शक्तिपीठों में एक माना जाता है और धार्मिक मान्यता है कि यहां देवी सती का हृदय गिरा था, इसलिए इसे “हृदय पीठ” और “चिता भूमि” भी कहा जाता है।
नवरात्र में विशेष पूजा
देवघर में नवरात्र के दौरान 10 दिनों तक विशेष पूजा-अनुष्ठान होते हैं, जबकि आमतौर पर नवरात्र 9 दिन का होता है। सप्तमी, अष्टमी और नवमी को मंदिर के कुछ हिस्से श्रद्धालुओं के लिए बंद रहते हैं। इन दिनों गुप्त तांत्रिक पूजा की जाती है। दशमी के दिन विशेष अनुष्ठान के बाद मंदिर के पट फिर से खोल दिए जाते हैं। बाबा मंदिर परिसर में हर दिन पहले मां शक्ति की पूजा, फिर भगवान शिव की आराधना होती है।
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ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व
शक्तिपीठ सतयुग से जुड़ा है, जबकि बाबा बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग त्रेता युग में स्थापित हुआ था। रामायण काल में रावण इसे लंका ले जा रहा था, लेकिन देवघर में ही यह स्थापित हुआ। मंदिर के आसपास गहरी खुदाई पर अभी भी राख मिलती है, जिससे इसे “चिता भूमि” भी कहा जाता है।
श्रद्धालुओं का अनुभव
नवरात्र के दौरान दूर-दूर से भक्त देवघर पहुंचते हैं। संध्या आरती और दुर्गा पूजा के दौरान शक्ति और शिव की एक साथ आराधना भक्तों को विशेष आध्यात्मिक अनुभव देती है। सावन में जहां शिवभक्त जल अर्पण करते हैं, वहीं नवरात्र में देवी भक्तों की भीड़ उमड़ती है।
देवघर में नवरात्र का पर्व न केवल पूजा-पाठ का समय है, बल्कि श्रद्धा, भक्ति और तांत्रिक साधना का अद्भुत केंद्र बनकर देशभर से श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है।
Reporter | Samachar Post
मैंने सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ झारखंड से पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री ली है। पत्रकारिता के क्षेत्र में बतौर रिपोर्टर मेरा अनुभव फिलहाल एक साल से कम है। सामाचार पोस्ट मीडिया के साथ जुड़कर स्टाफ रिपोर्टर के रूप में काम कर रही हूं।