Samachar Post रिपोर्टर, रांची : राजधानी रांची में एक 26 वर्षीय महिला, जो लंबे समय से संतान सुख से वंचित थी, उसका इलाज डॉ. अपेक्षा साहू की देखरेख में सफलतापूर्वक किया गया। महिला को दो बच्चादानी (यूटेरस डिडेलफिस बाइकोलिस या आमतौर पर बाइकॉर्नुएट गर्भाशय) होने की दुर्लभ अवस्था थी।
डॉ. अपेक्षा के अनुसार, शादी के तीन साल बाद जब पहली बार गर्भधारण हुआ तो महिला को चार महीने में गर्भपात हो गया। दूसरी बार सात महीने में गर्भपात की स्थिति बनी और ऑपरेशन से बच्चे को निकालना पड़ा, लेकिन शिशु 10 दिन बाद ही चल बसा।
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जांच में पता चला गर्भाशय की संरचना है असामान्य
जांच में सामने आया कि महिला के गर्भाशय की संरचना असामान्य है और वह दोहरी बच्चादानी (दुर्लभ गर्भाशय विसंगतियों) से पीड़ित है। फिर तीसरी बार गर्भधारण करने पर महिला की देखरेख शुरू से ही डॉ. अपेक्षा साहू ने की। चौथे महीने में महिला की बच्चादानी के मुंह पर उच्च सर्वाइकल टांका लगाया गया, जिससे गर्भ पूरे समय तक सुरक्षित रहा। अंततः संपूर्ण अवधि पूरी होने पर सफलतापूर्वक प्रसव कराया गया, और आज मां व शिशु दोनों पूरी तरह स्वस्थ हैं।
डॉ. अपेक्षा के अनुसार, इस तरह के केस बेहद दुर्लभ होते हैं और समय पर सही चिकित्सीय हस्तक्षेप ही मां और बच्चे की जान बचा सकता है। परिजन व परामर्शदाता चिकित्सकों ने इस सफलता को रांची के स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए बड़ी उपलब्धि बताया है। महिला और बच्चा अब पूरी तरह स्वस्थ हैं।