Samachar Post रिपोर्टर,रांची :झारखंड हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है जिसमें यह स्पष्ट किया गया है कि यदि किसी कर्मचारी ने कट-ऑफ तारीख तक पेंशन विकल्प (CPF/GPF) नहीं चुना, तो उसे CPF पेंशन स्कीम की बजाय बेहतर लाभ देने वाली GPF-कम-पेंशन स्कीम में स्विच किया हुआ माना जाएगा।
यह भी पढ़ें :रांची में सहायक आचार्यों की पोस्टिंग पर बवाल, शिक्षक सड़कों पर, SOP लागू करने की मांग तेज
मामला क्या था?
एक केंद्रीय विद्यालय के योग शिक्षक, जिन्हें 1981 में नियुक्त किया गया था, शुरू में उन्होंने कॉन्ट्रिब्यूटरी प्रोविडेंट फंड (CPF) स्कीम चुनी थी। वे मार्च 2019 में रिटायर हुए। 1988 में जारी एक मेमोरेंडम के अनुसार, 1 जनवरी 1986 से पहले नियुक्त कर्मचारियों को कट-ऑफ तक स्पष्ट विकल्प न देने पर उन्हें जनरल प्रोविडेंट फंड (GPF)-कम-पेंशन स्कीम में स्विच माना जाना है। रिटायरमेंट के बाद शिक्षक ने अपने बेनेफिट्स को पेंशन में बदलने की मांग की, लेकिन अधिकारियों ने इसे खारिज कर दिया क्योंकि उनका कहना था कि कर्मचारी ने मूल रूप से CPF स्कीम चुनी थी, इसलिए अब बदलाव संभव नहीं है।
CAT का फैसला और हाईकोर्ट की पुष्टि
शिक्षक ने सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल (CAT) का दरवाज़ा खटखटाया। CAT ने उनकी याचिका को मानते हुए अधिकारियों को उनके अकाउंट को GPF-कम-पेंशन स्कीम में बदलने का निर्देश दिया। इसी आदेश के खिलाफ केंद्रीय विद्यालय संगठन (KVS) ने हाईकोर्ट में रिट याचिका दायर की, तर्क देते हुए कि कर्मचारी को पहले ही विकल्प चुनने का मौका मिला था। लेकिन झारखंड हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने CAT के फैसले को बरकरार रखा और कहा कि चूंकि कर्मचारी ने कट-ऑफ तिथि तक कोई ऑप्शन नहीं चुना, इसलिए उसे GPF-कम-पेंशन स्कीम में स्विच माना जाएगा। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि CPF से बेहतर पेंशन लाभ से वंचित करना भेदभावपूर्ण होगा, चाहे कर्मचारी ने पहले CPF विकल्प क्विका हो।
Reporter | Samachar Post