Samachar Post रिपोर्टर,रांची :राजधानी में सहायक आचार्यों को नियुक्ति पत्र मिलने के बाद अब उनकी पोस्टिंग प्रक्रिया को लेकर गंभीर विवाद खड़ा हो गया है। नवनियुक्त शिक्षकों ने जिला प्रशासन पर बिना SOP और स्पष्ट नियमों के पोस्टिंग करने का आरोप लगाते हुए विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है। शुक्रवार को 100 से अधिक शिक्षक रांची डीसी कार्यालय पहुंचे और अपनी मांगों को लेकर नारेबाजी की। शिक्षकों का कहना है कि पोस्टिंग में पारदर्शिता का अभाव रहा, जिससे कई योग्य अभ्यर्थियों के साथ अन्याय हुआ है।
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महिला और दिव्यांग शिक्षकों को लेकर सबसे अधिक नाराजगी
शिक्षकों की सबसे बड़ी चिंता महिला सुरक्षा और दिव्यांग अभ्यर्थियों की सुविधा को लेकर है। आरोप है कि प्रशासन ने पोस्टिंग के दौरान इन संवेदनशील वर्गों की परिस्थितियों पर ध्यान नहीं दिया। कई महिला और दिव्यांग शिक्षकों को घर से सैकड़ों किलोमीटर दूर पदस्थापित कर दिया गया है। प्रदर्शन कर रहे शिक्षकों ने बताया कि बुढ़मू, कांके, कांके रोड जैसे शहरी केंद्रों से भी शिक्षकों को तमाड़, लापुंग, बुढ़मू से तमाड़ जैसे दूरदराज के क्षेत्रों में भेजा गया है, जहां तक रोजाना पहुंचना और ड्यूटी करना बेहद चुनौतीपूर्ण हो गया है।
मेंटल स्ट्रेस और SOP लागू न होने से बढ़ी परेशानी
शिक्षकों ने बताया कि 28 नवंबर 2025 को मोरहाबादी मैदान में उन्हें नियुक्ति पत्र सौंपे गए थे, लेकिन पोस्टिंग की मौजूदा व्यवस्था ने उन्हें मानसिक तनाव में डाल दिया है। महिला शिक्षकों ने अपनी पीड़ा बताते हुए कहा कि दूरस्थ क्षेत्रों में भेजे जाने से उनके लिए नौकरी निभाना मुश्किल हो रहा है, खासकर जब यातायात, सुरक्षा और मेडिकल जरूरतों जैसी बुनियादी व्यवस्थाएं भी स्पष्ट नहीं हैं।
शिक्षकों की प्रमुख मांगें
प्रदर्शन कर रहे शिक्षकों ने प्रशासन से मांग की है कि:
- पोस्टिंग प्रक्रिया के लिए Standard Operating Procedure (SOP) जारी किया जाए
- गृह प्रखंड या नजदीकी क्षेत्र में पदस्थापन के नियमों का पालन हो
- महिला और दिव्यांग शिक्षकों को नजदीकी स्कूलों में पोस्टिंग दी जाए
- सुरक्षा और मेडिकल जरूरतों को ध्यान में रखते हुए संवेदनशील कैटेगरी के लिए विशेष प्रावधान लागू हो
आगे भी जारी रहेगा आंदोलन
शिक्षकों का कहना है कि यह सिर्फ पोस्टिंग का मामला नहीं, बल्कि समान अवसर, सुरक्षा और अधिकार से जुड़ा मुद्दा है। अगर प्रशासन जल्द SOP लागू कर पोस्टिंग में सुधार नहीं करता, तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा। अब देखना यह होगा कि जिला प्रशासन शिक्षकों की इन जायज़ मांगों पर कब तक ठोस कदम उठाता है।
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