Samachar Post रिपोर्टर, रांची : भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICSSR) द्वारा प्रायोजित “सामाजिक विज्ञानों में मात्रात्मक एवं गुणात्मक शोध विधियाँ विषयक दो-साप्ताहिक क्षमता निर्माण कार्यक्रम (CBP) के दूसरे दिन की शुरुआत प्रेरक माहौल के साथ हुई। झारखंड केंद्रीय विश्वविद्यालय के शिक्षा विभाग और अर्थशास्त्र एवं विकास अध्ययन विभाग द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित इस कार्यक्रम में प्रतिभागियों ने प्रार्थना और ‘आज का विचार’ प्रस्तुत कर दिनभर की शैक्षणिक यात्रा को सकारात्मक ऊर्जा से भर दिया। पाठ्यक्रम निदेशक प्रो. (डॉ.) तपन कुमार बसंतिया ने प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए विशेषज्ञों का सम्मान किया और सत्रों की औपचारिक शुरुआत की।
पहला सत्र: शोध का दार्शनिक आधार और प्रक्रिया पर चर्चा
प्रथम सत्र का संचालन जेवियर इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंस (XISS) रांची के ग्रामीण प्रबंधन विभाग के प्रो. डॉ. निरंजन साहू ने किया। उन्होंने बताया कि हर शोध की जड़ें दार्शनिक चिंतन में निहित होती हैं और शोधकर्ता को “तीसरी आँख” यानी गहराई से देखने की क्षमता विकसित करनी चाहिए। डॉ. साहू ने सत्तामीमांसा (Ontology), ज्ञानमीमांसा (Epistemology), अनुसंधान विधियों का चयन, आगमनात्मक–निगमनात्मक तर्क तथा व्यक्तिवाद–समष्टिवाद के विमर्श जैसे जटिल विषयों को सरल रूप में समझाया। उन्होंने शोध से जुड़े प्रचलित भ्रमों पर भी प्रकाश डालते हुए संरचित, आलोचनात्मक और चिंतनशील दृष्टिकोण अपनाने पर जोर दिया।
यह भी पढ़ें: CA नरेश केजरीवाल पर ED की बड़ी कार्रवाई, FEMA के तहत 15 ठिकानों पर छापा
दूसरा सत्र: सामाजिक विज्ञानों में गुणात्मक और मात्रात्मक शोध
झारखंड केंद्रीय विश्वविद्यालय के शिक्षा विभागाध्यक्ष प्रो. विमल किशोर ने वैज्ञानिक अनुसंधान की अवधारणा, तर्क प्रक्रिया और शोध विधियों की कार्यप्रणाली को सरल तरीके से प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि आज की कक्षाओं में छात्रों की ध्यान अवधि कम होना शिक्षण और शोध-आधारित चर्चा के लिए नई चुनौती बन गई है। प्रो. किशोर के सत्र ने प्रतिभागियों को शोध प्रश्नों की प्रकृति के अनुसार उचित शोध विधि और उपकरण चुनने की स्पष्ट समझ दी।
तीसरा सत्र: साहित्य समीक्षा शोध की रीढ़
रांची विश्वविद्यालय के समाजशास्त्र विभाग के डॉ. बिनोद नारायण ने साहित्य समीक्षा के महत्व पर विस्तृत चर्चा की। उन्होंने शोध साहित्य खोजने के विश्वसनीय स्रोत, प्रासंगिक अध्ययन को पहचानने की रणनीतियाँ और शोध निष्कर्षों के एकीकरण तकनीकें साझा कीं। उनके सत्र ने प्रतिभागियों को शोध अंतर (Research Gaps) की पहचान करने की बेहतर समझ प्रदान की।
चौथा सत्र : फील्ड वर्क से जुड़े अभ्यास
अंतिम सत्र क्षेत्रीय कार्य की तैयारी और बुनियादी डेटा संग्रह से संबंधित गतिविधियों पर आधारित रहा। प्रतिभागियों ने समूहों में मिलकर फील्ड वर्क की व्यावहारिक चुनौतियों और तरीकों पर कार्य किया। सभी प्रतिभागियों ने दिनभर के सत्रों की स्पष्टता, गहराई और व्यावहारिक दृष्टिकोण की सराहना की।
कार्यक्रम के दूसरे दिन ने वैचारिक और व्यावहारिक दोनों स्तरों पर प्रतिभागियों की शोध क्षमता को मजबूत किया। दिन का समापन विशेषज्ञों के प्रति आभार-प्रदर्शन और राष्ट्रीय गान के साथ हुआ।
Reporter | Samachar Post
मैंने सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ झारखंड से पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री ली है। पत्रकारिता के क्षेत्र में बतौर रिपोर्टर मेरा अनुभव फिलहाल एक साल से कम है। सामाचार पोस्ट मीडिया के साथ जुड़कर स्टाफ रिपोर्टर के रूप में काम कर रही हूं।