Samachar Post डेस्क, रांची :अरावली पहाड़ियों की आधिकारिक परिभाषा को लेकर चल रहे विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया है। आज (सोमवार) इस मामले पर सुनवाई होगी। चीफ जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय वेकेशन बेंच इस पर विचार कर सकती है। मामला सुप्रीम कोर्ट में “इन री: डेफिनिशन ऑफ अरावली हिल्स एंड रेंजेस एंड एंसिलरी इश्यूज” शीर्षक से दर्ज किया गया है।
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पहले क्या आदेश दिए गए थे
20 नवंबर 2025 को SC ने अरावली की एक समान परिभाषा को मंजूरी दी थी। विशेषज्ञ रिपोर्ट आने तक दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान और गुजरात में नई माइनिंग लीज पर रोक लगाई गई। MoEF&CC कमिटी की सिफारिशों को स्वीकार किया गया। कोर और अछूते अरावली क्षेत्र में माइनिंग पर रोक जरूरी बताई गई।
SC द्वारा स्वीकार की गई परिभाषा
पर्यावरण मंत्रालय की कमिटी के अनुसार 100 मीटर या उससे अधिक ऊंचाई वाले लैंडफॉर्म अरावली पहाड़ी, 500 मीटर के भीतर स्थित 2 या अधिक अरावली पहाड़ियां अरावली रेंज। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया था सस्टेनेबल माइनिंग मैनेजमेंट प्लान अंतिम रूप तक नई लीज नहीं दी जाएगी। पहले से चल रही खदानें सख्त शर्तों के साथ जारी रह सकेंगी। अवैध खनन रोकने और सतत खनन नीति लागू करने के निर्देश दिए गए थे।
अरावली क्यों महत्वपूर्ण है
SC ने अरावली को ग्रीन बैरियर कहा, जो थार रेगिस्तान के फैलाव को रोकता है। जैव विविधता संरक्षण और पारिस्थितिकी संतुलन में अहम बताया है। कोर्ट ने कहा था कि वैज्ञानिक और स्पष्ट परिभाषा अरावली के संरक्षण की पहली शर्त है।
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