Samachar Post रिपोर्टर,रांची: :कोडरमा–बरकाकाना–रांची रेल लाइन पर स्थित हेहल और दारिदाग रेलवे स्टेशन आज भी उपेक्षा का शिकार हैं। 3 साल बीत जाने के बावजूद इन दोनों स्टेशनों पर कोई ट्रेन ठहराव नहीं है और स्टेशन भवन, प्लेटफॉर्म व टिकट काउंटर जर्जर स्थिति में हैं।
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26 किलोमीटर लंबा हिस्सा CRS निरीक्षण में पास, स्टेशन अभी भी सुनी
1999 में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने कोडरमा–हजारीबाग–बरकाकाना–टाटीसिल्वे रेल परियोजना की नींव रखी थी, जिसकी लागत लगभग 3800 करोड़ रुपये थी। 2022 में सिधवार–हेहल–दारिदाग–सांकी सेक्शन का 26 किलोमीटर लंबा हिस्सा CRS निरीक्षण में पास भी हो गया। उम्मीद थी कि रांची से बरकाकाना तक लोकल और एक्सप्रेस ट्रेनें चलेंगी, लेकिन स्टेशन अभी भी सूने पड़े हैं।
गुजर रही ट्रेनें, लेकिन ठहराव नहीं
इस रूट पर रांची–पटना वंदे भारत, हटिया–आसनसोल इंटरसिटी, लोकमान्य तिलक–गया एक्सप्रेस जैसी महत्वपूर्ण ट्रेनें गुजरती हैं, लेकिन हेहल और दारिदाग स्टेशन पर कोई ठहराव नहीं दिया गया। स्थानीय लोगों का कहना है कि रेलवे अधिकारियों ने भूमि अधिग्रहण के दौरान वादा किया था कि इस रूट पर लोकल ट्रेनें चलाई जाएंगी, ताकि किसान अपनी फसल और सब्ज़ी बड़े बाजारों तक आसानी से पहुंचा सकें।
ग्रामीणों की शिकायतें पर कोई जवाब नहीं
स्थानीय ग्रामीणों ने इस मुद्दे को रांची और हजारीबाग के सांसदों तक कई बार पहुंचाया, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। ग्रामीणों ने रक्षा राज्य मंत्री को भी पत्र भेजकर समाधान की मांग की, लेकिन वहाँ से भी कोई जवाब नहीं आया। पिछले तीन वर्षों से फाइलें लंबित पड़ी हैं और ग्रामीण अब भी ठहराव और सुविधाओं के इंतजार में हैं।
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