Samachar Post रिपोर्टर, रांची :केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) ने उद्योगों को उनके प्रदूषण स्तर के आधार पर वर्गीकृत करने के लिए नई प्रणाली लागू कर दी है। इसमें अब उद्योगों को लाल, नारंगी, हरा, सफेद और नई शुरू की गई नीली श्रेणी में रखा जाएगा। नई गाइडलाइन पूरे देश में लागू होगी।
यह भी पढ़ें :झारखंड कृषि मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की ने की औचक समीक्षा, योजनाओं में तेजी लाने के दिए निर्देश
कैसे तय होगी उद्योगों की श्रेणी?
नई प्रणाली में हर उद्योग को जल, वायु और अपशिष्ट प्रदूषण के आधार पर एक प्रदूषण सूचकांक दिया जाएगा। लाल श्रेणी के उद्योगों की निगरानी सबसे सख्त होगी। सफेद श्रेणी को सबसे कम निगरानी में रखा जाएगा। नीली श्रेणी घरेलू अपशिष्ट प्रबंधन से जुड़ी पर्यावरणीय सेवाओं के लिए बनाई गई है।
नई प्रणाली से होने वाले फायदे
- बेहतर पर्यावरण प्रबंधन: सटीक निगरानी के कारण प्रदूषण नियंत्रण अधिक प्रभावी होगा।
- स्वच्छ तकनीकों को बढ़ावा: उद्योगों को पर्यावरण-अनुकूल तकनीक अपनाने का प्रोत्साहन मिलेगा।
- अधिक पारदर्शिता: वर्गीकरण और निगरानी प्रक्रिया पहले से ज्यादा स्पष्ट और सार्वजनिक होगी।
नई प्रणाली की प्रमुख बातें
प्रदूषण भार: उद्योगों का वर्गीकरण उनके प्रदूषण के स्तर के आधार पर होगा।
उद्योग का पैमाना: उद्योग कितना बड़ा है, यह भी महत्वपूर्ण माना जाएगा।
उत्पादन तकनीक: किस तकनीक से उत्पादन हो रहा है, इसका मूल्यांकन किया जाएगा।
ईंधन का प्रकार: उद्योग किस प्रकार का ईंधन उपयोग करते हैं, यह भी श्रेणी तय करेगा।
नीली श्रेणी: घरेलू अपशिष्ट प्रबंधन सेवाओं के लिए नई श्रेणी जोड़ी गई।
अतिरिक्त वैधता: नीली श्रेणी को संचालन की सहमति में 2 वर्ष की अतिरिक्त वैधता मिलेगी।
विस्तारित क्षेत्र: पहले 257 क्षेत्रों के बजाय अब 403 क्षेत्रों (उप-क्षेत्रों सहित) को वर्गीकृत किया गया है।
किस श्रेणी में कितने उद्योग?
- लाल श्रेणी: 125 उद्योग
- नारंगी श्रेणी: 137 उद्योग
- हरी श्रेणी: 94 उद्योग
- सफेद श्रेणी: 54 उद्योग
- नीली श्रेणी: 9 उद्योग
Reporter | Samachar Post