Samachar Post डेस्क, रांची : रोज़गार की तलाश में दूसरे राज्यों का रुख करने वाले झारखंड के मजदूरों की हालत दिन-ब-दिन गंभीर होती जा रही है। हाल ही में आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम से सामने आया मामला चिंताजनक है, जहां झारखंड के 18 मजदूर पिछले तीन महीनों से बिना वेतन के काम कर रहे हैं। भूख और आर्थिक तंगी के कारण मजदूर पिछले दो दिनों से अपने कमरे में बंद हैं।
कैसे फंसे मजदूर?
ये मजदूर झारखंड के पलामू, गढ़वा और रांची जिलों से हैं। तीन महीने पहले एक ठेकेदार ने इन्हें काम दिलाने के बहाने विशाखापट्टनम के रामबली इलाके (अंकपल्ली जिला) ले जाया। उन्हें बताया गया कि काम के बदले साप्ताहिक वेतन मिलेगा, लेकिन तीन महीने से उन्हें भुगतान नहीं हुआ।
रांची के पंडरा निवासी संजय कुमार ने बताया कि वे एसएलसी ग्रुप के प्रोजेक्ट में सिविल वर्क कर रहे थे। कंपनी न केवल वेतन नहीं दे रही है, बल्कि धमकाकर उन्हें भगा रही है। दुकानदार उधार राशन देना बंद कर चुके हैं, और कुछ लोग धमकी तक देने लगे हैं।
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मजदूरों की आज़ादी पर संकट
धर्मेंद्र कुमार ने बताया कि हालात इतने खराब हैं कि अब उधारी देने वाले मोबाइल और सामान जब्त करने की धमकी दे रहे हैं। सभी मजदूर डर के मारे अपने कमरे में बंद हैं और झारखंड सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं। मजदूरों ने झारखंड लेबर डिपार्टमेंट से भी संपर्क किया, लेकिन अब तक कोई राहत नहीं मिली।
कांग्रेस नेत्री का बयान
झारखंड कांग्रेस नेत्री ब्यूटी मंडल ने ट्वीट कर सरकार से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की। उन्होंने लिखा:
“विशाखापट्टनम में झारखंड के 18 मजदूर पिछले दो दिनों से भूखे पेट कमरे में बंद हैं। कंपनी ने तीन महीने से वेतन नहीं दिया, खाने का सामान भी खत्म हो गया। झारखंड सरकार और संबंधित प्रशासन से अपील है कि तुरंत संज्ञान लें और मजदूरों को उनका हक दिलाएँ।”
फंसे हुए मजदूरों के नाम
संजय कुमार (रांची), धर्मेंद्र कुमार, अरविंद कुमार, रंजीत पासवान, रमेश, विजय, धनंजय ऋषि, नागेंद्र, वीरेंद्र कुमार, सुनील कुमार, नंदकिशोर, पवन कुमार, अनिल कुमार, अनिल, गोविंद, प्रदीप, संतोष कुमार और सत्येंद्र कुमार। सभी मजदूर पलामू और गढ़वा जिलों के निवासी हैं।
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मैंने सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ झारखंड से पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री ली है। पत्रकारिता के क्षेत्र में बतौर रिपोर्टर मेरा अनुभव फिलहाल एक साल से कम है। सामाचार पोस्ट मीडिया के साथ जुड़कर स्टाफ रिपोर्टर के रूप में काम कर रही हूं।