Samachar Post रिपोर्टर, रांची : प्रकृति, भाई-बहन के अटूट प्रेम और फसलों की समृद्धि का प्रतीक पर्व करमा पूजा इस वर्ष 3 सितंबर को पूरे उल्लास के साथ मनाया जाएगा। झारखंड, छत्तीसगढ़, बिहार और ओडिशा सहित देश के कई हिस्सों में यह पर्व विशेष महत्व रखता है। किसानों और आदिवासी समुदाय के लिए करमा पूजा न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि जीवन और प्रकृति के संतुलन का भी संदेश देती है।
करमा पूजा की परंपराएं
इस दिन करम देवता की पूजा की जाती है, जिन्हें फसलों और खुशहाली का रक्षक माना जाता है। परंपरागत रूप से करमा धरमा कथा का पाठ, जावा विधि, भाई दूज अनुष्ठान और प्रकृति पूजन इस पर्व के मुख्य अंग हैं। घरों और आंगनों को फसलों व फूलों से सजाया जाता है। बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र, सुख-समृद्धि और अच्छे स्वास्थ्य के लिए व्रत रखती हैं और प्रार्थना करती हैं।
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प्रकृति और परिवार का संगम
करमा पूजा केवल धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह प्रकृति और मानव के रिश्ते को जोड़ने वाला पर्व है। इस अवसर पर वृक्षों और फसलों की पूजा की जाती है, ताकि धरती माता और उसकी उपज के प्रति आभार व्यक्त किया जा सके। इसके साथ ही भाई-बहन के रिश्तों की मजबूती और पारिवारिक सौहार्द का भी यह त्योहार विशेष महत्व रखता है।
त्योहार का संदेश
करमा पूजा हमें यही सिखाती है कि प्रकृति का सम्मान करें, रिश्तों को संजोएं और समृद्धि का मार्ग अपनाएं। यह पर्व धार्मिक ही नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी उतना ही अहम है। यह हमें जीवन में संतुलन, प्रेम और आपसी सहयोग के महत्व की याद दिलाता है।
Reporter | Samachar Post
मैंने सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ झारखंड से पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री ली है। पत्रकारिता के क्षेत्र में बतौर रिपोर्टर मेरा अनुभव फिलहाल एक साल से कम है। सामाचार पोस्ट मीडिया के साथ जुड़कर स्टाफ रिपोर्टर के रूप में काम कर रही हूं।