Samachar Post डेस्क, रांची : हजारीबाग बरसात के दिनों में कश्मीर के पहलगाम जैसी खूबसूरती का अहसास कराने वाली जुलजुल यानी सीतागढ़ पहाड़ी अब गंदगी और असामाजिक गतिविधियों की वजह से बदहाल हो चुकी थी। शराब की बोतलें, प्लास्टिक और कचरे के ढेर ने इस पर्यटन स्थल की सुंदरता पर दाग लगा दिया था। लेकिन अब ग्रामीणों ने खुद पहल कर सफाई की कमान संभाल ली है।
पर्यटन स्थल की छवि धूमिल
जुलजुल पहाड़ी, जिसे स्थानीय लोग सीतागढ़ भी कहते हैं, हजारीबाग जिले का दूसरा बड़ा पर्यटन स्थल है। कन्हरी हिल के बाद सबसे ज्यादा पर्यटक यहां पहुंचते हैं। बरसात में यह इलाका हरियाली और प्राकृतिक नजारों से सजा रहता है। मगर पिछले कुछ महीनों में गंदगी, शराबखोरी और तोड़फोड़ ने इस जगह की छवि बिगाड़ दी थी। टूटे शीशे की बोतलों से अक्सर मवेशी और चरवाहे घायल हो जाते थे।
जब प्रशासन ने नहीं सुनी, तो खुद उतरे ग्रामीण
ग्रामीणों ने कई बार प्रशासन और जनप्रतिनिधियों से शिकायत की, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। नतीजतन रविवार को ग्रामीणों ने खुद सफाई अभियान शुरू किया। बड़ी मात्रा में प्लास्टिक और शराब की टूटी बोतलें इकट्ठा कर पहाड़ी को साफ किया गया।
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बनाई समिति, तय किए नियम
ग्रामीणों ने बताया कि अब एक समिति बना दी गई है जो पहाड़ी की देखरेख करेगी।
- प्लास्टिक और गंदगी पर पूरी तरह रोक होगी।
- नशाखोरी करने वालों पर सख्त जुर्माना लगेगा।
- पर्यटकों की एंट्री से पहले चेकिंग होगी।
- पार्किंग के लिए तय स्थान बनाया जाएगा।
- सुरक्षा व्यवस्था पर भी समिति नजर रखेगी।
साथ ही ग्रामीणों ने प्रशासन से यहां नियमित पेट्रोलिंग की मांग भी रखी है।
प्रशासन पर उठ रहे सवाल
जुलजुल पहाड़ी की खूबसूरती बचाने का जिम्मा अब ग्रामीणों ने उठा लिया है। सवाल यह है कि जब स्थानीय लोग अपने स्तर से पर्यटन स्थल की रक्षा कर सकते हैं, तो क्या प्रशासन और जनप्रतिनिधि भी इस दिशा में गंभीर कदम उठाएंगे?
प्रशासन पर उठ रहे सवाल
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मैंने सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ झारखंड से पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री ली है। पत्रकारिता के क्षेत्र में बतौर रिपोर्टर मेरा अनुभव फिलहाल एक साल से कम है। सामाचार पोस्ट मीडिया के साथ जुड़कर स्टाफ रिपोर्टर के रूप में काम कर रही हूं।