
- झारखंड में पहली बार खून से संबंधित बीमारियों पर तीन दिवसीय 9वीं वार्षिक इस्टर्न हेमेटोलाजी पर साइंटिफिक कांफ्रेंस का आयोजन, स्वास्थ्य मंत्री व वित्त मंत्री हुए शामिल
- एक्सपर्ट्स ने खून की बीमारियों पर दी अपनी प्रस्तूति, थैलेसिमिया, सिकल-सेल-एनिमिया जैसी बीमारी पर कैसे बेहतर ट्रीटमेंट के साथ निदान मिले इसपर हुई चर्चा
Samachar Post, रांची : झारखंड में पहली बार खून से संबंधित बीमारियों पर तीन दिवसीय 9वीं वार्षिक इस्टर्न हेमेटोलाजी पर साइंटिफिक कांफ्रेंस का आयोजन किया गया। शुक्रवार को होटल रेडिशन ब्लू में स्वास्थ्य मंत्री डॉ. इरफान अंसारी ने इसका विधिवत उद्घाटन किया। इस दौरान वित्त मंत्री राधा कृष्ण किशोर भी मौजूद रहें। स्वास्थ्य मंत्री डाॅ. इरफान अंसारी ने कहा कि झारखंड के लोगों में खून से संबंधित बीमारियां दूसरे राज्यों की तुलना में अधिक है। यहां अाधा के करीब महिलाएं एनीमिक हैं। बच्चे थैलेसिमिया जैसी बीमारी की चपेट में आ रहे हैं। यहां लोगो को खून से संबंधित कोई भी गंभीर बीमारी होती है तो उन्हें इलाज के लिए राज्य के बाहर जाना पड़ता है। मंत्री ने झारखंड के लोगों को आश्वासन देते हुए कहा कि जल्द ही सदर अस्पताल में हेमेटोलॉजी की अलग ईकाई होगी। साथ ही रांची सदर अस्पताल में बोन मैरो ट्रांसप्लांट की सुविधा भी जल्द शुरू होगी। मैं राज्य की जनता को जांच एवं अन्य सुविधा देने के लिए पूरी तरह प्रयासरत हूं। आज ज्यादातर लोग किसी न किसी बीमारी से पीड़ित हैं। राज्य के संपूर्ण विकास के लिए स्वास्थ्य क्षेत्र का विकास करना बहुत जरूरी है। बहुत जल्द राज्य में स्वास्थ्य के क्षेत्र में रक्त से सम्बंधित बीमारी, अन्य गंभीर बीमारी से संबंधित जांच एवं अन्य सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी।

मंत्री ने की तीन घोषणाएं…
स्वास्थ्य मंत्री ने कॉन्फ्रेंस के दौरान सभी निजी अस्पतालों को निर्देश दिया कि वो स्वास्थ्य गाइडलाइन का पालन करें एवं अस्पताल में भर्ती मरीज की मृत्यु हो जाने पर जल्द ही प्रक्रिया पूरी करके उनके परिवार को शव सौपें। उन्होंने मंच से स्वास्थ्य के लिए जरूरी तीन महत्वपूर्ण घोषणाएं की। उन्होंने कहा कि रांची के सदर अस्पताल में बोन मैरो ट्रांसप्लांट यूनिट बहुत जल्द खोला जाएगा, राज्य में बहुत जल्द जेनेटिक लैब खोला जाएगा और रांची के सदर अस्पताल में गर्भवती महिलाओं के लिए एंटी नेटल टेस्ट जल्द ही शुरू की जाएगी।

देश भर से 100 से ज्यादा एक्सपर्ट हुए शामिल
इस राष्ट्रीय सम्मेलन में देशभर से 100 से भी अधिक वरिष्ठ हेमेटोलॉजिस्ट, हेमेटो -आंकोलॉजिस्ट, बोन मैरो ट्रांसप्लांट एक्सपर्ट व अन्य विशेषज्ञ चिकित्सक शामिल हुए। साथ ही रिम्स, सदर अस्पताल समेत राज्य के अन्य अस्पतालों से पैथोलॉजिस्ट, फिजिशियन, बाल रोग विशेषज्ञ, स्त्री रोग विशेषज्ञ एवं अन्य विभाग के चिकित्सक एवं शोधकर्ता, नर्स एवं स्वास्थ्य कर्मी भी शामिल रहें।
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रक्त विकार, थैलेसिमिया, सिकल-सेल-एनेमिया जैसी बीमारियों पर हुआ मंथन
कार्यक्रम में रक्त विकार से संबंधित बीमारियां जैसे थैलेसीमिया, सिकल सेल एनीमिया, एनीमिया, स्टेम सेल ट्रांसप्लांट, ब्लीडिंग डिसऑर्डर जैसे हीमोफीलिया इत्यादि के कारण, जांच व इलाज प्रक्रिया पर चर्चा की गई। एक्सपर्ट ने भी अपनी प्रस्तुति के दौरान कहा कि राज्य में रक्त विकार से संबंधित मरीजों की संख्या एवं बोन मैरो ट्रांसप्लांट के खर्च को देखते हुए बोन मैरो ट्रांसप्लांट सेंटर की आवश्यकता है ताकि मरीजों को पूर्ण रूप से सुविधा मिल सके। और उन्हें इलाज के लिए कहीं दूसरे जगह नहीं जाना पड़े। बोन मैरो ट्रांसप्लांट में तकरीबन 20 से 40 लाख रुपये का खर्च आता है जो की काफी महंगा है। सरकारी व्यवस्था के तहत यदि सुविधाएं दी जाए तो न्यूनतम दर में सेवा मिल सकेगी।