- डायरेक्टर सत्यम पाठक ने कहा- 34 बार रक्तदान कर चुके युवा से प्रेरित होकर ब्लड टॉपिक पर ड्रॉक्यूमेंट्री बनाने का विचार आया
- जो रक्तदान से डरते हैं, इसके फायदे नही जानते, ब्लड डोनेशन के प्रति तरह-तरह के भ्रम के शिकार हो चुके लोगों को जागरूक करना उद्देश्य
Samachar Post, रांची : खून… नाम सुनते ही न जाने क्या-क्या मन में चलना शुरू हो जाता है। कब, कहां और किसे इसकी जरूरत पड़ जाए कहना मुश्किल है। हम सभी दुआ करते है कि इसकी जरूरत किसी को न पड़े, और पड़े भी ताे समय पर उन्हें खून मिल जाए ताकि उनकी जान बच सके। लेकिन बड़ा सवाल है कि खून की जरूरत पड़ने पर यह मिलेगा कैसे? क्यूंकि जब रक्तदान की बारी आती है तो हमें तो इससे डर लगता है। हम खुद रक्तदान नही करना चाहते और दूसरों के आगे मदद के लिए हाथ फैलाते हैं। फिर हमारे जरूरत पर कोई दूसरा आकर हमारे लिए एक यूनिट खून के रूप में नई जिंदगी दे जाता है।
सोचने वाली बात है… हमारे जरूरत के समय कोई दूसरा अपना खून दे सकता है तो मैं रक्तदान क्यूं नहीं कर सकता? मैं इसलिए खून नही दे सकता क्योंकि मुझे इससे से डर लगता है। इतनी मोटी सूई हाथ में घूसेगी तो मैं बेहोश हो जाऊंगा। शायद मैं 350 मिलिलीटर खून देने के बाद बीमार पड़ जाऊं या कमजोर हो जाऊंगा। ऐसे तमान भ्रम लोगों के मन में रक्तदान को लेकर होते हैं। ब्लड क्राइसिस में खून की जरूरत, लोगों में रक्तदान के प्रति जागरूकता लाने के लिए ‘ट्रांसफ्यूज होप’ नामक डॉक्यूमेंट्री बनाई गई है। गुरुवार को सत्यम पाठक द्वारा निर्देशित ‘ट्रांसफ्यूज होप’ यूट्यूब में रिलीज की गई।
34 बार रक्तदान कर चुके युवा पर आधारित है डॉक्यूमेंट्री, मैं खुद भी उनसे प्रेरित : सत्यम पाठक
डॉक्यूमेंट्री के डायरेक्टर सत्यम पाठक ने रिलीज के मौके पर कहा कि यह डॉक्यूमेंट्री एक युवा अमन मिश्रा पर आधारित है, जो रक्तदान को समर्पित एक एनजीओ जीवनदान के नाम से चलाते हैं। जिन्होंने अपने 18वें जन्मदिन से रक्तदान की शुरूआत की और बिना किसी गैप के हर तीन महीने में नियमित रक्तदात करते हैं। अबतक 34 बार से रक्तदान कर चुके हैं। वे न सिर्फ खुद रक्तदान करते हैं बल्कि सैकड़ों युवाओं को इसके लिए मोटिवेट भी कर चुके हैं। मैं खुद भी ब्लड डोनेशन को लेकर उनसे इंस्पायर्ड हूं।
खून की शॉर्टेज और लोगों में इसे लेकर डर, इसलिए डॉक्यूमेंट्री के लिए ब्लड टॉपिक चुना
सत्यम ने बताया कि अक्सर सुनने को मिलता है कि ब्लड बैंकों में खून की कमी है। जब रक्तदान शिविर आयोजित किए जाते हैं तो 10-12 यूनिट भी कलेक्शन नही होता। जब लोगों से रक्तदान नही करने का कारण पूछते हैं तो वे डर को बड़ा कारण के रूप में बताते हैं। ऐसे में इन्हीं चीजों को देखते हुए ब्लड टॉपिक पर डॉक्यूमेंट बनाने का आइडिया आया, ताकि लोग इसे देखकर थोड़े मोटिवेट हो सके। इस डॉक्यूमेंट्री में हमने डॉक्टरों से मेडिकल एंगल बिल्ड किया है जो रक्तदान के बारे सारी जानकारी दे रहे हैं। हमने वैसे मरीज व परिजन से बात की जिन्हें हर सप्ताह ब्लड ट्रांसफ्यूजन की जरूरत पड़ती है और समय पर खून नही मिल पाता। हमने कुछ नियमित रक्तदाता और रक्तदाता संगठनों से भी बात की है। पूरी डॉक्यूमेंट्री ब्लड डोनेशन को बढ़ावा देने और लोगों को जागरूक करने से उद्देश्य से तैयार किया गया है।
डॉक्यूमेंट्री तैयार करने वाली पूरी टीम
डायरेक्टर सत्यम पाठक के अलावा लक्की वर्मा, निमिशा भट्ट, विकास साहू, हर्ष राज और अनुष्का ने मिलकर इस डॉक्यूमेंट्री को पूरा किया है। निर्देशन के अलावा इंटरव्यू और एडिटिंग भी सत्यम पाठक ने किया। लक्की वर्मा ने बतौर डीओपी, निमिशा ने डॉक्यूमेंट्री में ब्लड से संबंधित रिसर्च वर्क, ग्राफिक्स और म्यूजिक पर काम किया। हर्ष और अनुष्का ने कलर ग्रेडिंग और विकास साहू ने एडिटिंग और कलर करेक्शन का काम संभाला। सत्यम ने रक्तदान से जुड़ी जानकारी देने के लिए रिम्स ब्लड बैंक इंचार्ज डॉ. सुषमा, क्रिटिकल केयर विभाग के डॉ. सुदिप्तो और डॉ. वरूण को धन्यवाद दिया।
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