जर्जर स्थिति में 108 एंबुलेंस सदर अस्पातल परिसर में खड़ी। |
108 एंबुलेंस सेवा… जून तक सेवा से स्वास्थ्य विभाग को संतुष्ट नही कर पाई तो एजेंसी को नही मिलेगा एक्सटेंशन, हर साल काम के आधार पर रिनुअल होना है कॉन्ट्रैक्ट
10 माह में 543 में 422 एंबुलेंस को ही फंक्शन बना सकी ईएमआरआई ग्रीन हेल्थ सर्विसेज, अब भी 100 से ज्यादा एंबुलेंस विभिन्न जिला अस्पतालों में जर्जर स्थिति में फांक रही धूल
Samachar Post, रांची : झारखंड में 108 एंबुलेंस सेवा का संचालन कर रही एजेंसी पर स्वास्थ्य विभाग की बड़ी कार्रवाई हो सकती है। क्योंकि स्वास्थ्य विभाग व एनएचएम संचालन एजेंसी के काम से असंतुष्ट है। कॉलर्स को टाइम पर एंबुलेंस सेवा तक उपलब्ध कराने में एजेंसी नाकाम साबित हो रही है। ग्रामीण क्षेत्र में घटना स्थल पर एंबुलेंस पहुंचने में एवरेज टाइम से 15 मिनट बाद तक गाड़ी नही पहुंच पा रही। यहीं नहीं, पिछले छह महीने में 200 से ज्यादा शिकायतें भुक्तभोगियों ने ट्वीटर व शिकायत पत्र के माध्यमों से स्वास्थ्य मंत्री व मुख्यमंत्री से की है। जिसका प्रमाण विभिन्न ट्वीटर हैंडल में उपलब्ध हैं। बताते चले कि नई एजेंसी को जुलाई 2023 में कार्य सौंपा गया था, 10 महीने बाद भी एजेंसी को जितनी गाड़ियां सौंपी गई थी अब तक ऑन रोड नही हो सकी है। कुल 543 एंबुलेंस में सिर्फ 422 एंबुलेंस ही सड़क पर दौड़ रही है। बाकी 121 एंबुलेंस अब भी कबाड़ की तरह विभिन्न जिला अस्पताल व प्रखंड के पीएचसी-सीएचसी में खड़ी है।
रांची सदर अस्पताल परिसर में छह एंबुलेंस अब भी जर्जर हालत में धूल फांक रही है। एंबुलेंस की टायर जमीन की मिट्टी में धसती जा रही है। एनएचएम के एक अधिकारी ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग और एनएचएम ईएमआरआई ग्रीन हेल्थ सर्विसेज से संतुष्ट नही है। अगर जून तक सेवा में सुधार नही किया गया तो एजेंसी को रिनुअल भी नही किया जाएगा। क्योंकि समझौता इस आधार पर है कि हर साल एजेंसी के काम को रिव्यू कर उन्हें रिनुअल किया जाना है।
संचालन में एजेंसी बरत रही कोताही, जिनकी नियुक्ति कर रही अधिकांश के पास नही है मांगी गई शैक्षणिक याेग्यता
स्वास्थ्य विभाग के बड़े अधिकारी ने बताया कि एजेंसी को विभाग से कई बार शोकॉज किया जा चुका है, इसके बाद भी संचालन में कोताही बरती जा रही है। जिस गाइडलाइन के तहत एजेंसी से करार किया गया था, एजेंसी उसमें भी कोताही बरत रही है। एंबुलेंस संचालन में जितने भी ड्राइवर और ईएमटी टेक्निशियन हैं, अधिकांश न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता तक पूरी नही करते हैं। एनएचएम ने शोकॉज करते हुए एजेंसी से जवाब मांगा है।
स्वास्थ्य विभाग ने इन बिंदुओं पर संचालन एजेंसी को किया है शोकॉज
1. कुल 543 एंबुलेंस में 422 ही ऑन-रोड है, बाकी 121 ऑफ रोड है, 10 महीने बाद भी यह स्थिति क्यों? विभाग ने शोकॉज करते हुए 10 महीने बाद भी गाड़ियां रिपेयर कराकर हैंडओवर क्यों नही ली गई इसका कारण पूछा है। पूछा है कि कहां और किस स्तर पर कठिनाई आ रही है यह भी बताएं। इस मामले में एनएचएम के अभियान निदेशक आलोक त्रिवेदी ने कहा कि हमने सभी जिलों के सिविल सर्जन को निर्देश दिया है कि जल्द अपने स्तर से जिले में पड़ी ऑफ-रोड एंबुलेंस की मरम्मत कराकर एजेंसी को हैंडओवर करें।
2. जुलाई 2023 में नई एजेंसी के साथ समझौते के बाद बड़े पैमाने पर एंबुलेंस चालक व ईएमटी टेक्निशियन की नियुक्ति की गई। विभाग ने इसपर भी एजेंसी से स्पष्टीकरण मांगा है कि बगैर अर्हता वालों की नियुक्ति भी की गई है। ईएमटी की नियुक्ति के लिए जो न्यूनतम अर्हता रखी गई थी उसका पालन नही किया गया है। ऐसे में एनएचएम ने सभी कर्मियों की शैक्षणिक योग्यता के अनुसार जानकारी उपलब्ध कराने का निर्देश एजेंसी को दिया है, ताकि एजेंसी पर कार्रवाई की जा सके।
3. जीवनदूत मोबाइल एप लॉन्च कर 108 को करना था ऑनलाइन, इस पर भी 10 माह में कोई काम नहीं हुआ। एनएचएम द्वारा भेजे गए शोकॉज में इसका भी जिक्र है कि एजेंसी के समझौते में जीवनदूत एप तैयार कर उसे लोगों को सार्वजनिक प्लेटफॉर्म में लॉन्च करना था। ताकि ऑनलाइन भी लोग 108 सेवा का लाभ ले सकें। लेकिन 10 महीने बाद भी ऐसा नही हुआ। अभियान निदेशक ने इस मामले में कहा कि ऐप में थोड़ी कठिनाई है, जिसमें हम अपनी टीम को दे रहें हैं, हमारी टीम उसमें सुधार करेगी।
4. 108 सेवा को कोऑर्डिनेशन 112 हेल्पलाइन से होना था, ताकि फायर-पुलिस-एंबुलेंस के बीच तालमेल रहे, पर यह भी नही हुआ। एजेंसी के समझौते में इसका भी जिक्र था कि 108 एंबुलेंस सेवा को 112 हेल्पलाइन के साथ कोऑर्डिनेशन के साथ काम करना था। ताकि कई बार 108 कॉल से फायर या पुलिस की जरूरत हो तो उसे से कॉल फॉरवर्ड कर सेवाएं उपलब्ध कराई जाए ताकि तीनों के बीच तालमेल बना रहे। लेकिन यह भी नही हुआ। अभियान निदेशक ने इस मामले में कहा कि इसे लेकर एजेंसी को शोकॉज भी किया गया है, जिसके बाद उन्होंने इसे लेकर बैठक भी की है। इसपर काम चल रहा है जल्द 108 और 112 के बीच कोऑर्डिनेशन सुनिश्चित कराई जाएगी।
अभियान निदेशक से सवाल- क्या एजेंसी के काम से विभाग संतुष्ट, क्योंकि आम नागरिक हर दिन कर रहे शिकायत?
अभियान निदेशक आलोक त्रिवेदी ने कहा कि जब तक काम 100 प्रतिशत नही होता, तब तक कोई भी संतुष्ट नही होता है। मैं चाहूंगा कि सेवा में सुधार हो। जहां तक एक्सटेंशन की बात है, ऐसे में एजेंसी के पूरे एक साल का कार्य देखा जाएगा, रिव्यू की जाएगी। उसके आधार पर तय किया जाएगा कि काम संतुष्टि लायक है या नहीं। इसके बाद एक्सटेंशन देना है या नही उसपर विचार किया जाएगा।
न कॉन्ट्रैक्ट पर खरी उतर रही, न लोगों को बेहतर सेवा मिल रही; 108 एंबुलेंस की संचालन एजेंसी के काम से स्वास्थ्य विभाग असंतुष्ट, एनएचएम ने कई बिंदुओं पर भेजा शोकॉज, अब कार्रवाई की तैयारी में | @yourBabulal @pratulshahdeo@JharkhandCMOhttps://t.co/5uMVnKF8xt
— Samachar Post (@samachar_post) April 28, 2024