होटल रेडिशन ब्लू में आयोजित कॉन्फ्रेंस में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ ऐंड न्यूरोसाइंसेज की कुलपति डॉ. डी इंडिरा देवी ने कहा- हर दिन अस्पताल के कजुअल्टी में करीब 120 न्यूरोसर्जरी के मामले पहुंचते हैं, इसमें 80 मामले केवल सड़क दुर्घटना के
Samachar Post, रांची : गंभीर स्थिति में अस्पताल पहुंचने वाले क्रिटिकल रोगियों को शुरूआती चिकित्सा व्यवस्था क्या उपलब्ध कराई जाए? किस तरह मरीज को स्टेबल किया जाए? अगर मरीज ज्यादा गंभीर है तो उसकी जान कैसे बचाई जाए? इन सभी बातों पर मंथन करने के लिए ऑर्किड अस्पताल द्वारा रविवार को होटल रेडिशन ब्लू में राष्ट्रीय स्तर के कॉन्फ्रेंस क्रिटिकॉन-4.0 का आयोजन किया गया। इसमें न सिर्फ चिकित्सा क्षेत्र में आए एडवांसमेंट पर चर्चा की गई, बल्कि किस स्थिति में मरीज अस्पताल पहुंचें तो उसकी जान कैसे बचाई जाए इसपर भी चर्चा की गई। सम्मलेन का शुभारंभ आर्किड मेडिकल सेंटर के चेयरमैन डॉ एससी जैन, चीफ एडमिनिस्ट्रेटिव ऑफिसर डॉ पीके गुप्ता, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ ऐंड न्यूरोसाइंसेज़, बैंगलोर की कुलपति डॉ. डी इंडिरा देवी और मेदांता लखनऊ के निदेशक एवं ह्रदय रोग विशेषज्ञ डॉ राकेश शर्मा द्वारा दीप प्रज्जवलित कर की गई।
सत्र के दौरान डॉ. डी इंडिरा देवी ने न्यूरोसर्जरी के क्षेत्र में आ रही एडवांसमेंट की जानकारी दी, साथ ही बताया कि इसे चिकित्सकों को किस तरह एडॉप्ट करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि ट्रॉमा और क्रिटिकल मामलों में भी न्यूरोसर्जरी की अमह भूमिका है, क्योंकि अस्पताल में ट्रॉमा के ज्यादातर मामले ब्रेन इंजुरी लेकर अस्पताल पहुंचते हैं। इन्हें तत्काल सर्जरी की भी जरूरत पड़ती है, अगर थोड़ी भी देर की गई तो जान भी जा सकती है। डॉ. डी इंदिरा देवी ने कहा कि हर दिन इमरजेंसी में करीब 120 न्यूरोसर्जरी के मामले पहुंचते हैं, इसमें 80 के करीब मामले सड़क दुर्घटना के कारण होती है। उन्होंने कहा कि हैरान करने वाली बात है कि इन 80 मामलों में हम कोशिश करने के बाद भी 30-35 रोगी को बचाया नही जा सकता है।
मेदांता लखनऊ के डायरेक्टर डॉ. राकेश वर्मा ने हार्ट फेल्योर पर साझा की जानकारी
इस सम्मेलन में कई तरह के सत्र आयोजित किए गए जिनका नेतृत्व देश भर से आए विशेषज्ञों द्वारा किया गया। जैसे कार्डियोलॉजी, क्रिटिकल केयर, न्यूरो साइंसेज, नेफ्रोलॉजी एवं गैस्ट्रोएंटोरोलॉजी सत्र का आयोजन किया गया। कार्डियोलॉजी सत्र का नेतृत्व प्रसिद्ध ह्रदय रोग विशेषज्ञ डॉ राकेश वर्मा और आर्किड अस्पताल के ह्रदय रोग विशेषज्ञ डॉ मुनेश्वर ने किया। डॉ. राकेश वर्मा ने हार्ट फेल्योर टॉपिक पर व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि दो तरह के रोगियों में हार्ट फेल्योर के मामले देखने को मिलते हैं, पहला सडन हार्ट फेल्याेर और दूसरा लंबे समय से हार्ट की समस्या के कारण। अगर समय पर इलाज शुरू कर हार्ट फेलियाेर का कारण पता लगाया जा सके तो उसे ठीक किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि ह्रदय आघात के इलाज के साथ-साथ अब रोकथाम भी जरुरी है और अब लोग अपने ह्रदय स्वस्थ को लेकर पहले की तुलना में काफी जागरूक भी हुए हैं।
थाइमस ग्रंथि में ट्यूमर के जांच, इलाज तथा रोकथाम पर चिकित्सकों ने किए डिस्कशन
न्यूरोसर्जन डॉ विक्रम सिंह ने आर्किड अस्पताल में उच्च एवं आधुनिक तकनीक से हो रहे मस्तिष्क तथा रीढ़ की सर्जरी के बारे में जानकारी दी। डॉ विक्रम ने बताया की अब आर्किड अस्पताल में ब्रेन ट्यूमर सर्जरी तथा रीढ़ की सर्जरी की साथ-साथ स्ट्रोक इमरजेंसी के लिए 24 घंटे स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध है। डॉ कौशिक एस ने न्यूरोवस्क्युलर सर्जरी में हो रहे विकास के बारे में जानकारी दी। डॉ गोविन्द माधव ने थाइमस ग्रंथि में ट्यूमर के जांच, इलाज तथा रोकथाम पर प्रकाश डाला। डॉ कुमार सौरभ ने आईसीयू मरीजों में कमजोर हो रही ज्ञानेंद्रियों के इलाज पर अपने अनुभव साझा किए।