- भारतीय अंगदान दिवस : रिम्स में किडनी ट्रांसप्लांट शुरू नहीं हो सकी, हर माह झारखंड से 100 से ज्यादा लोग दूसरे राज्य में करा रहे प्रत्यारोण
Samachar Post रिपोर्टर, रांची : स्टेट ऑर्गन एंड टिशू ट्रांसप्लांट ऑर्गनाइजेशन (सोट्टो) झारखंड द्वारा भारतीय अंगदान दिवस के मौके पर विशेष सम्मान समारोह का आयोजन किया। इस समारोह में नेत्रदान करने वाले दिवंगत लोगों के परिजनों को सम्मानित किया गया। इस अवसर पर समाज में अंगदान के महत्व को रेखांकित करते हुए जागरूकता का संदेश भी दिया गया। समारोह में विशेष उल्लेख दिवंगत सुशांत सिंह का किया गया, जिनके परिवार ने 2023 में लंदन में उनके अंग दान किए थे।
सुशांत सिंह के पिता ने वीडियो संदेश के माध्यम से अपनी भावनाएं साझा कीं। उन्होंने कहा मुझे ऐसा लगता है जैसे मेरा बेटा आज भी जीवित है। उसके अंगों के माध्यम से कई लोगों को नई जिंदगी मिली है। उन्होंने कहा कि बेटा सड़क दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हो गया था। अस्पताल में इलाज के दौरान डॉक्टरों ने उसे ब्रेन डेड घोषित कर दिया था। इसके बाद हमने बेटे के अंगों को जीवित रखने का निर्णय लिया और अंगदान किया।
झारखंड में 100 लोगों को हर माह किडनी ट्रांसप्लांट की दी जाती है सलाह
शनिवार को रिम्स में आयोजित कार्यक्रम में निदेशक डॉ. राजकुमार, डीन डॉ. शशि बाला सिंह, नेत्र विभाग के एचओडी डॉ सुनील कुमार, सोट्टो झारखंड के नोडल पदाधिकारी डॉ राजीव रंजन व अन्य उपस्थित थे। एक आंकड़ें के अनुसार, झारखंड में 100 बीमार में 2 लोग किडनी की समस्या से पीड़ित हैं। 100 लोगों को हर माह किडनी ट्रांसप्लांट की सलाह दी जाती है। राज्य में ट्रांसप्लांट नही होने के कारण इन्हें दूसरे राज्य के निजी अस्पताल जाकर प्रत्यारोपण कराना पड़ता है। झारखंड में वेटलिस्ट का कोई ठोस आंकड़ा नही है, लेकिन विशेषज्ञ चिकित्सकों की मानें तो पिछले करीब छह माह में 250 से ज्यादा लोगों को किडनी ट्रांसप्लांट की सलाह दी जा चुकी है।
पहले रक्तदान करने से भी लोग कतराते थे, आज स्थिति बदल चुकी है
समारोह के दौरान निदेशक ने कहा जब किसी व्यक्ति को ब्रेन डेड घोषित कर दिया जाता है, तो अंगदान को लेकर हिचक क्यों? आज भी ब्रेन डेथ की पुष्टि के बाद अंगदान नहीं हो पा रहा है। यही स्थिति कुछ वर्ष पहले रक्तदान को लेकर भी थी, लेकिन जागरूकता आने के बाद स्थिति बदली। अब अंगदान के लिए भी हमें समाज में जागरूकता फैलानी होगी। मीडिया और आम जनता को इसमें अहम भूमिका निभानी चाहिए। जब अंग दूसरों को जीवन दे सकते हैं, तो उन्हें व्यर्थ क्यों जाने दें? साथ ही उन्होंने कहा कि अंगदान के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए रिम्स प्रतिबद्ध है।
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76 साल के राम रतन राम ने कॉर्निया के बाद देहदान भी कर दिया…
स्व. राम रतन राम, 76 वर्षीय बुजुर्ग, जो जीवनभर नॉन-एल्कोहलिक रहे, लेकिन लीवर सोरायसिस की गंभीर बीमारी के शिकार हो गए थे। लंबे इलाज के बावजूद उनका लीवर पूरी तरह से खराब हो चुका था और अंततः उनका निधन हो गया। उनके बेटे ने बताया कि स्व. राम रतन राम ने वर्षों पहले देहदान की शपथ ली थी। निधन के बाद जब डॉक्टरों से परामर्श लिया गया, तो बताया गया कि कॉर्निया डोनेशन भी संभव है। इसके बाद परिवार ने तुरंत निर्णय लिया और आई बैंक से संपर्क कर कॉर्निया रिट्रीव कराया। कॉर्निया दान के बाद स्व. राम रतन राम का पूरा शरीर मेडिकल कॉलेज को दान कर दिया गया, ताकि आने वाली पीढ़ियों के डॉक्टर उनके शरीर से शिक्षा और शोध ले सकें। यह पहल न केवल किसी जरूरतमंद को दृष्टि दे गई, बल्कि मेडिकल शिक्षा को भी नई दिशा प्रदान करेगी। रिम्स में इनके परिजनों को भी शनिवार को सम्मानित किया गया।
इन अंगदाता के परिजनों को मिला सम्मान
- स्व. ईश्वर सिंह
- स्व. राम रतन राम
- स्व. शारदा वोरा
- स्व. हराधन महतो
क्विज सोसायटी ने पोस्टर मेकिंग, फेस पेंटिंग व क्विज प्रतियोगिता कर जागरूकता बढ़ाई
कार्यक्रम के दौरान रिम्स क्विज सोसायटी के 2022 बैच के छात्रों द्वारा पोस्टर मेकिंग, फेस पेंटिंग और क्विज प्रतियोगिता का आयोजन भी किया गया। यह आयोजन छात्रों ने अंगदान जैसे संवेदनशील विषय पर अपनी रचनात्मकता के माध्यम से जागरूकता फैलाई। सोट्टो झारखंड के इस पहल की सराहना करते हुए सभी वक्ताओं ने समाज से आह्वान किया कि वे अंगदान के लिए आगे आएं और मृत्यु के बाद भी किसी और के जीवन को रौशन करें।
Reporter | Samachar Post
मैंने सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ झारखंड से पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री ली है। पत्रकारिता के क्षेत्र में बतौर रिपोर्टर मेरा अनुभव फिलहाल एक साल से कम है। सामाचार पोस्ट मीडिया के साथ जुड़कर स्टाफ रिपोर्टर के रूप में काम कर रही हूं।