
- “क्या अब संवेदनशीलता भी अपराध है?” – मंत्री डॉ. इरफान अंसारी ने बेटे कृष को लेकर तोड़ी चुप्पी, वायरल वीडियो पर दी सफाई
Samachar Post रिपोर्टर, रांची : झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. इरफान अंसारी के 19 वर्षीय पुत्र कृष अंसारी इन दिनों रांची के विभिन्न सरकारी अस्पतालों का निरीक्षण करते नजर आ रहे हैं। उनके साथ उनके कुछ दोस्त भी होते हैं, जो वार्डों में मरीजों और उनके परिजनों से कहते हैं, “मंत्री जी का बेटा आए हैं, कोई तकलीफ हो तो बताइए।”
सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो में कृष अंसारी मरीजों से संवाद करते दिख रहे हैं। वीडियो में वह पूछते हैं, “तकलीफ डिटेल में बताइए, डायरेक्टली बात करेंगे।” वहीं किसी मरीज के बिल को देखकर वे यह भी कहते हैं, “ये चार्जेज तो इनवैलिड हैं।”
मंत्री के बेटे कृष ने खुद वीडियाे सोशल साइट पर किया अपलोड
बताया जा रहा है कि निरीक्षण के दौरान बनाये गए वीडियो को कृष ने खुद सोशल साइट पर अपलोड किया, जो अब वायरल हो चुका है। इस पूरे घटनाक्रम पर सोशल मीडिया में कई तरह की प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। कुछ लोगों ने सवाल खड़ा किया है कि क्या मंत्रीपुत्र को अस्पताल निरीक्षण का वैधानिक अधिकार है? मंत्री के बेटे के इस तरह निरीक्षण करने को लेकर सरकारी प्रक्रिया पर भी बहस छिड़ गई है।
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स्वास्थ्य मंत्री बोलें- कृष केवल अपने शिक्षक के बीमार पिता का हालचाल लेने गया था रिम्स गया
इधर, झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. इरफान अंसारी ने अपने बेटे कृष अंसारी को लेकर सोशल मीडिया और कुछ मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर फैलाए जा रहे आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए भावुक बयान जारी किया है। मंत्री ने साफ कहा है कि कृष न तो किसी अस्पताल निरीक्षण के लिए गया था और न ही नेतागिरी करने, बल्कि वह केवल अपने शिक्षक के बीमार पिता का हालचाल लेने रिम्स गया था।
बेटे ने मानवीय आधार पर यथासंभव मदद की
डॉ. अंसारी ने बताया कि कुछ आदिवासी परिवार भी मंत्री आवास पर मदद की गुहार लेकर पहुंचे थे, जो अपने परिजन के इलाज को लेकर चिंतित थे। उन्हीं के आग्रह पर कृष अस्पताल गया और मानवीय आधार पर यथासंभव मदद की।
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मंत्री बोलें- घटना को तोड़-मरोड़कर राजनीतिक रंग देना दुर्भावनापूर्ण
अपने बयान में मंत्री ने कहा कि कृष एक पढ़ा-लिखा, संवेदनशील और सेवा भाव रखने वाला युवक है, और इस घटना को तोड़-मरोड़कर राजनीतिक रंग देना दुर्भावनापूर्ण है। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या आज किसी की मदद करना, संवेदनशील होना भी गुनाह बन गया है?
बयान के अंत में मंत्री ने अपील करते हुए कहा कि सच्चाई को समझें, राजनीति का चश्मा उतारें और युवा संवेदनशीलता का सम्मान करें, ताकि हमारे समाज में सेवा भावना जिंदा रह सके।