
- इंस्टीट्यूट ऑफ टाउन प्लानर ऑफ इंडिया के इस्ट जोन कॉन्फ्रेंस में पूर्व विकास आयुक्त रह चुके सेवानिवृत्त आईएएस अरुण कुमार सिंह ने गिनाई शहरी नियोजन की अहमियत
Samachar Post डेस्क, रांची : झारखंड की शहरी आबादी में तेजी से हो रही वृद्धि को देखते हुए राज्य के लिए सुनियोजित शहरी विकास अब समय की मांग बन गई है। इंस्टीट्यूट ऑफ टाउन प्लानर ऑफ इंडिया के इस्ट जोन कॉन्फ्रेंस के दौरान राज्य के पूर्व मुख्य सचिव रिटायर्ड आईएएस अरुण कुमार सिंह ने स्पष्ट किया कि अगर आज मास्टर प्लान और रणनीतिक शहरी विकास को प्राथमिकता नहीं दी गई, तो भविष्य में शहरों का बोझ बेकाबू हो जाएगा। उन्होंने ट्रांजिट ओरिएंटेड डेवलपमेंट, ट्रांसफरेबल डेवलपमेंट राइट्स और ग्रोथ सेंटर अप्रोच जैसे आधुनिक शहरी मॉडल को अपनाने पर जोर दिया।
अरुण कुमार सिंह ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि योजना के बिना शहर नहीं बसते, वे सिर्फ भीड़ बनते हैं। उन्होंने शहरी निकायों, नीति निर्माताओं और नागरिकों से अपील की कि वे मिलकर झारखंड के शहरी भविष्य को संवारें। यदि राज्य ने रणनीतिक शहरी विकास की राह चुनी, तो वह आने वाले वर्षों में देश में शहरी विकास का मॉडल बन सकता है।

शहरीकरण को मिले दिशा, तभी बनेगा विकास का इंजन
अरुण कुमार सिंह ने कहा कि आज देश के जीडीपी में शहरी क्षेत्रों का योगदान 60% है, जो 2036 तक 70% तक पहुंच सकता है। उन्होंने कहा कि झारखंड में अभी 34% लोग शहरी क्षेत्रों में रहते हैं और यह आंकड़ा 2050 तक 50% हो जाएगा। अगर हमने नगर निगम, नगर परिषद, नगर पंचायत और सेंसेस टाउन का नियोजित विकास नहीं किया, तो हमें पलायन और संसाधन संकट का सामना करना पड़ेगा।
पारगमन-उन्मुख विकास : भीड़ नहीं, बेहतर जीवन चाहिए
उन्होंने पारगमन-उन्मुख विकास (टीओडी) की अवधारणा को आज की ज़रूरत बताया। टीओडी से पब्लिक ट्रांसपोर्ट को प्राथमिकता मिलेगी, निजी वाहनों पर निर्भरता कम होगी और प्रदूषण व ट्रैफिक जैसी समस्याएं नियंत्रित होंगी। टीओडी सिर्फ ट्रैफिक समाधान नहीं, यह एक ऐसा मॉडल है जिसमें इंसान, समाज और पर्यावरण तीनों का संतुलन है।
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हस्तांतरणीय विकास अधिकार : ज़मीन का बेहतर इस्तेमाल
टीडीआर (हस्तांतरणीय विकास अधिकार) की उपयोगिता को रेखांकित करते हुए अरुण कुमार सिंह ने कहा कि यह एक आधुनिक और व्यावहारिक मॉडल है जो झारखंड जैसे राज्य के लिए बेहद उपयोगी हो सकता है। इससे खेती योग्य और ओपन स्पेस को संरक्षित रखते हुए विकास को उन क्षेत्रों में ले जाया जा सकता है जहां बुनियादी ढांचा तैयार है।

ग्रोथ सेंटर अप्रोच है संतुलित विकास की कुंजी
उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि झारखंड में ग्रोथ सेंटर अप्रोच को अपनाना जरूरी है, ताकि केवल बड़े शहर ही नहीं, बल्कि छोटे-छोटे सेंटर भी आर्थिक गतिविधियों के केंद्र बन सकें। अगर हम ग्रोथ सेंटर विकसित करें, तो गांव और शहर के बीच का फासला घटेगा और संतुलित विकास होगा।
समावेशी मास्टर प्लान बने, जनभागीदारी हो जरूरी
मास्टर प्लान को विजन डॉक्यूमेंट बताते हुए अरुण कुमार सिंह ने कहा कि इसमें न सिर्फ भौगोलिक और आर्थिक पहलुओं का ध्यान रखा जाए, बल्कि समाज की आवाज भी शामिल हो। शहरों का विकास कागज पर नहीं, ज़मीन पर दिखना चाहिए और उसके लिए जनभागीदारी अनिवार्य है।