Samachar Post रिपोर्टर,रांची : झारखंड में नशे के कारोबार पर एक बार फिर बड़ा खुलासा हुआ है। रांची के मांडर थाना क्षेत्र की पुलिस ने रांची-कुड़ू रोड पर एक ट्रक से 13,400 बोतल फेंसाडाइल (Phensedyl-100ml) कफ सिरप जब्त किया है। यह कफ सिरप हिमाचल प्रदेश की Abbott Healthcare Pvt. Ltd. कंपनी द्वारा बनाया गया है। पुलिस ने इस मामले में वसीम निजाम शेख नामक व्यक्ति को गिरफ्तार किया है। बताया जा रहा है कि कार्रवाई उत्तर प्रदेश क्राइम ब्रांच की सूचना पर की गई।
पिछले साल भी इसी कंपनी का कफ सिरप हुआ था जब्त
यह पहला मामला नहीं है। वर्ष 2024 में धनबाद पुलिस ने भी इसी कंपनी के 26,000 बोतल फेंसाडाइल जब्त किए थे। उस समय कार्रवाई गुजरात पुलिस की सूचना पर हुई थी। मामले की जांच बाद में CID को सौंपी गई, लेकिन अब तक किसी ठोस कार्रवाई की खबर सामने नहीं आई है। सूत्रों के अनुसार, CID ने न तो सप्लायरों पर कोई केस दर्ज किया और न ही उनके नेटवर्क पर छापेमारी की। उस दौरान CID में तैनात ASP दीपक पर कार्रवाई टालने के आरोप भी लगे थे, लेकिन विभाग ने कोई कदम नहीं उठाया।
तुपुदाना में है अधिकृत सप्लायर, फिर भी कोई जांच नहीं
मांडर में जब्त हुआ कफ सिरप रांची के तुपुदाना स्थित Saili Traders से सप्लाई किया जा रहा था। यही सप्लायर Abbott Healthcare की दवाओं का अधिकृत डिस्ट्रीब्यूटर बताया जाता है। इसके बावजूद, CID और तुपुदाना पुलिस ने अब तक कोई जांच या कार्रवाई नहीं की है। सूत्रों का दावा है कि सप्लायर को रांची पुलिस के एक डीएसपी रैंक के अधिकारी का संरक्षण प्राप्त है। यही वजह बताई जा रही है कि स्थानीय स्तर पर कार्रवाई नहीं हो रही।
फेंसाडाइल कफ सिरप: नशे का ज़हर
फेंसाडाइल कफ सिरप (Phensedyl) का इस्तेमाल अक्सर नशे के तौर पर किया जाता है। धनबाद में जब्त खेप की लैब जांच में पाया गया था कि एक ट्रक में मौजूद बोतलों में कोडीन (Codeine) की मात्रा 4.912 किलो थी, जबकि सामान्य तौर पर यह एक किलो से भी कम होनी चाहिए। इतनी अधिक मात्रा में कोडीन का असर हेरोइन जैसा होता है, जिससे यह कफ सिरप जहरीले नशे में तब्दील हो जाता है।
सवाल बरकरार: CID और पुलिस क्यों चुप हैं?
लगातार दो राज्यों की सूचना पर कार्रवाई होने के बावजूद, झारखंड पुलिस की स्थानीय इकाइयां अब तक सप्लायरों और नेटवर्क पर कार्रवाई से बचती रही हैं। यह सवाल उठ रहा है कि क्या वाकई पुलिस का काम सिर्फ जागरूकता अभियान चलाना रह गया है या नशे के कारोबार को संरक्षण देना भी इसी का हिस्सा बन गया है?।
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