Samachar Post डेस्क, रांची : बिहार विधानसभा चुनाव से पहले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के भीतर दरार साफ नजर आने लगी है। सीट बंटवारे पर सहमति नहीं बनने के चलते NDA के घटक दल सुभासपा (सुभासपा) ने बिहार में अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। इस फैसले से भाजपा (BJP) और जदयू (JDU) को राजनीतिक नुकसान उठाना पड़ सकता है।
अब अकेले लड़ेंगे चुनाव, ओम प्रकाश राजभर
सुभासपा प्रमुख ओम प्रकाश राजभर, जो उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री हैं, ने कहा कि बिहार चुनाव में उन्हें एक भी सीट नहीं दी गई, इसलिए अब उनकी पार्टी 153 सीटों पर उम्मीदवार उतारेगी। उन्होंने सोमवार को 50 उम्मीदवारों की पहली सूची भी जारी कर दी। हालांकि, अब तक उन्होंने गठबंधन तोड़ने की औपचारिक घोषणा नहीं की है, लेकिन उनके इस बयान से NDA खेमे में हलचल मच गई है।
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सीमांचल और भोजपुर में NDA को झटका
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यदि सुभासपा अकेले मैदान में उतरती है, तो इससे सीमांचल और भोजपुर क्षेत्रों में NDA के वोट बैंक पर असर पड़ सकता है। विशेषकर उन इलाकों में जहां पिछड़ा वर्ग और गैर यादव वोट NDA के पक्ष में जाता था, वहां अब वोट बिखरने की आशंका है।
BJP-JDU की रणनीति पर सवाल
अगर सुभासपा 153 सीटों पर चुनाव लड़ेगी, तो इससे NDA के अंदर वोट कटाव बढ़ेगा। ऐसे में भाजपा और जदयू, जिन्होंने 101-101 सीटों पर उम्मीदवार उतारने का फैसला लिया है, सीधे नुकसान में आ सकती हैं। NDA के भीतर पहले से ही सीट बंटवारे को लेकर RLJP और HAM की नाराजगी बनी हुई है। अब सुभासपा के अलग होने से गठबंधन की एकजुटता पर सवाल उठ गए हैं।
विपक्ष को मिल सकता है फायदा
राजनीतिक हलकों में माना जा रहा है कि अगर NDA में ये मतभेद यूं ही बढ़ते रहे, तो इसका सीधा फायदा महागठबंधन और विपक्षी दलों को मिलेगा। अब देखना यह है कि एनडीए नेतृत्व इस संकट को कैसे सुलझाता है और सुभासपा को मनाने में कितनी सफलता हासिल कर पाता है।
Reporter | Samachar Post
मैंने सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ झारखंड से पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री ली है। पत्रकारिता के क्षेत्र में बतौर रिपोर्टर मेरा अनुभव फिलहाल एक साल से कम है। सामाचार पोस्ट मीडिया के साथ जुड़कर स्टाफ रिपोर्टर के रूप में काम कर रही हूं।