Samachar Post डेस्क, रांची : सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (CJI) बीआर गवई पर जूता फेंकने की कोशिश करने वाले वकील राकेश किशोर ने अपने कृत्य पर पछतावा जताने से इनकार कर दिया है। उन्होंने कहा कि यह उनका सोच-समझकर उठाया कदम था और इसे उन्होंने एक “दैवीय संदेश” मानकर अंजाम दिया। राकेश किशोर ने मीडिया से बातचीत में बताया कि वे खजुराहो के जवारी मंदिर में भगवान विष्णु की मूर्ति की बहाली से जुड़ी याचिका खारिज होने पर आहत थे। उन्होंने कहा कि सुनवाई के दौरान CJI की टिप्पणी “जाओ, मूर्ति से प्रार्थना करो कि उसका सिर वापस आ जाए” उन्हें अपमानजनक लगी।
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राकेश किशोर के मुख्य बयान
उन्होंने कहा कि दूसरे धर्मों से जुड़े मामलों में सुप्रीम कोर्ट गंभीरता दिखाता है, लेकिन सनातन धर्म से जुड़े मामलों में ऐसा नहीं होता। हल्द्वानी, जल्लीकट्टू, दही हांडी जैसे मुद्दों का हवाला देते हुए उन्होंने कोर्ट की नीतियों पर सवाल उठाए। अगर आप राहत नहीं देना चाहते, तो कम से कम उसका मजाक मत उड़ाइए। मैं हिंसा के खिलाफ हूं, लेकिन यह मेरी भावनाओं से जुड़ा था। उन्होंने बार काउंसिल के निलंबन फैसले की आलोचना की और कहा कि उन्हें अनुशासन समिति से नोटिस मिलना चाहिए था। दलित जज पर हमले के आरोपों पर कहा कि जस्टिस गवई ने बौद्ध धर्म अपनाया है, इसलिए उन्हें “दलित” कहना राजनीतिक है। स्पष्ट किया कि वे जेल जाने को तैयार हैं लेकिन माफी नहीं मांगेंगे।
“भगवान का आदेश”
राकेश किशोर ने कहा: भगवान ने मुझसे यह काम करवाया। अगर सरकार चाहे तो मुझे जेल भेज दे या फांसी पर चढ़ा दे।
राजनीतिक और सार्वजनिक प्रतिक्रिया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस घटना की कड़ी निंदा की। उन्होंने ट्वीट किया, सुप्रीम कोर्ट परिसर में मुख्य न्यायाधीश पर हुआ हमला निंदनीय है। यह हमारे समाज की गरिमा के खिलाफ है। जस्टिस गवई ने जिस संयम और शांति से स्थिति को संभाला, वह प्रशंसनीय है।
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मैंने सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ झारखंड से पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री ली है। पत्रकारिता के क्षेत्र में बतौर रिपोर्टर मेरा अनुभव फिलहाल एक साल से कम है। सामाचार पोस्ट मीडिया के साथ जुड़कर स्टाफ रिपोर्टर के रूप में काम कर रही हूं।