- सरयू राय का बयान: सारंडा को लेकर सरकार को स्पष्टता देनी चाहिए
Samachar Post रिपोर्टर, जमशेदपुर : जमशेदपुर पश्चिमी के विधायक सरयू राय ने कहा है कि झारखंड सरकार को सारंडा क्षेत्र से जुड़े मामले में जनता के सामने स्पष्ट प्रतिवेदन रखना चाहिए और भ्रम की स्थिति पैदा नहीं करनी चाहिए। उनके अनुसार, सारंडा में लौह अयस्क खनन के साथ ही पर्यावरण, वन्यजीव संरक्षण और जैव विविधता की रक्षा को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। सरयू राय ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार के भीतर वन, खान, उद्योग और वित्त विभागों में विरोधाभास है, जिसे दूर करना जरूरी है।
तीन महत्वपूर्ण वर्किंग प्लान
सरयू राय ने बताया कि सारंडा सघन वन क्षेत्र के लिए अब तक तीन वर्किंग प्लान तैयार किए गए हैं: 1936–1956: एसएफ मुनी द्वारा तैयार। 1956–1976: जेएन सिन्हा द्वारा तैयार। 1976–1996: राजहंस द्वारा तैयार। उन्होंने सवाल उठाया कि 1996 के बाद सारंडा के लिए कोई वर्किंग प्लान क्यों नहीं बनाया गया। उन्होंने कहा कि इन तीनों दस्तावेजों में विस्तार से वन भूमि संरक्षण और खनन गतिविधियों का विवरण मौजूद है।
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मुख्य बिंदु जो सरकार को विचार करने चाहिए
- सारंडा में साल के पेड़ों का महत्व लौह अयस्क से कम नहीं है।
- 2003 में भारत सरकार ने वनों के संरक्षण के लिए राज्यों को दिशा-निर्देश दिए थे। उस आधार पर झारखंड सरकार ने प्रस्ताव तैयार किया था, लेकिन 2009 से अब तक उस पर निर्णय नहीं लिया गया।
- मधु कोड़ा के मुख्यमंत्री काल में कई माइनिंग लीज आवेदनों को मंजूरी दी गई थी, जिनका कुल क्षेत्रफल सारंडा के कुल क्षेत्र से अधिक था।
- 2010 में रिटायर्ड जस्टिस एम.बी. शाह की अध्यक्षता में कमेटी बनाई गई, लेकिन उसकी रिपोर्ट पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।
- 2011 और 2014 में बनाए गए प्लान और रिपोर्ट्स पर भी कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
- माइनिंग प्लान फॉर सस्टेनेबल माइनिंग में माइनिंग ज़ोन और नो-माइनिंग ज़ोन निर्धारित किए गए थे, पर सरकार मौन है।
सरयू राय के आरोप
सारंडा में सबसे ज्यादा लौह अयस्क खनन स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (SAIL) के पास है, जिसने पर्यावरण नियमों का उल्लंघन किया है। कारो और कोयना नदियां खनन से प्रदूषित हो चुकी हैं। सारंडा रिजर्व फॉरेस्ट में सैंक्चुअरी की घोषणा पर सरकार चुप है। कई बड़े माइनिंग लीज आवेदनों पर निर्णय नहीं लिया गया है।
सरयू राय की सलाह और मांग
सरयू राय ने सरकार से आग्रह किया कि वह तीनों वर्किंग प्लान का अध्ययन करे, सारंडा में खनन गतिविधियों के प्रभाव का श्वेत पत्र जारी करे और सस्टेनेबल माइनिंग डेवलपमेंट प्लान पर स्पष्ट रुख अपनाए। उन्होंने कहा कि अगर सारंडा को सैंक्चुअरी घोषित किया जाता है तो इसका सरकार पर गंभीर प्रभाव होगा, इसलिए इस मुद्दे पर तत्काल निर्णय लेना जरूरी है। सरयू राय ने साफ कहा कि सारंडा के भविष्य के लिए पारदर्शिता, वन संरक्षण और सस्टेनेबल खनन नीति अनिवार्य हैं।
Reporter | Samachar Post
मैंने सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ झारखंड से पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री ली है। पत्रकारिता के क्षेत्र में बतौर रिपोर्टर मेरा अनुभव फिलहाल एक साल से कम है। सामाचार पोस्ट मीडिया के साथ जुड़कर स्टाफ रिपोर्टर के रूप में काम कर रही हूं।