Samachar Post रिपोर्टर, रांची : झारखंड की बहुचर्चित पेसा नियमावली पर हाईकोर्ट में आज सुनवाई नहीं हो सकी। सरकार की ओर से अधिवक्ता ने कोर्ट से समय की मांग की और बताया कि महाधिवक्ता राजीव रंजन इस सुनवाई में व्यक्तिगत रूप से शामिल होना चाहते हैं। कोर्ट ने इस अनुरोध को स्वीकार करते हुए सुनवाई को बुधवार तक स्थगित कर दिया।
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सुनवाई की अहमियत
पेसा नियमावली पर होने वाली हाईकोर्ट की सुनवाई इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि राज्य में बालू घाटों और माइनर मिनरल के टेंडर आवंटन पर अदालत ने पहले रोक लगा रखी है।
कैबिनेट स्वीकृति में बाधाएं
पंचायती राज विभाग ने नियमावली की स्वीकृति के लिए प्रस्ताव कैबिनेट को भेजा है। लेकिन ड्राफ्ट में अभी भी कई त्रुटियां हैं, जिसके कारण बुधवार की कैबिनेट बैठक में नियमावली पर मुहर लगना मुश्किल है।
ड्राफ्ट में अभी सात विभागों के मंतव्य लंबित हैं, जिनमें वित्त विभाग, उत्पाद, खान व भूतत्व, गृह एवं आपदा प्रबंधन, महिला एवं बाल विकास, वन एवं पर्यावरण विभाग शामिल हैं।
विभागीय मतभेद
- विधि विभाग: पंचायतों से जुड़ी योजनाओं को केवल ग्राम सभा के माध्यम से कार्यान्वित कराने का सुझाव।
- पंचायती राज विभाग: विभागीय योजनाओं को भी ग्राम सभा में शामिल करने का प्रस्ताव।
- लाभुक चयन: पंचायती राज विभाग ने विभागीय चयन पद्धति को उपयुक्त माना, अलग नियम की जरूरत नहीं बताई।
- जिला और पंचायत स्तर की योजनाएं: बड़ी योजनाओं के लिए जिला परिषद, छोटी योजनाओं के लिए पंचायत समिति से स्वीकृति।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पहले ही लंबित नियमावली को छोटा करने का निर्देश दिया था। इसके बाद ड्राफ्ट 31 पृष्ठों से घटाकर 23 पृष्ठों का किया गया, लेकिन विभागीय मतभेद अब भी जारी हैं।
Reporter | Samachar Post
मैंने सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ झारखंड से पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री ली है। पत्रकारिता के क्षेत्र में बतौर रिपोर्टर मेरा अनुभव फिलहाल एक साल से कम है। सामाचार पोस्ट मीडिया के साथ जुड़कर स्टाफ रिपोर्टर के रूप में काम कर रही हूं।