Samachar Post रिपोर्टर, रांची : झारखंड में राशनकार्डधारकों के लिए अनिवार्य की गई ई-केवाईसी प्रक्रिया ने लाखों जरूरतमंदों के लिए राशन वितरण में बाधा डाल दी है। तकनीकी खामियों और प्रशासनिक लापरवाही के कारण कई कार्डधारक भूख और कुपोषण के जोखिम में हैं।
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देरी और रद्दीकरण की समस्या
पश्चिमी सिंहभूम और अन्य जिलों में पिछले छह महीनों से ई-केवाईसी न कराने वाले कार्ड रद्द किए जा रहे हैं। केंद्र सरकार ने राज्य को लगभग 41 लाख अयोग्य राशनकार्डधारकों की सूची भेजी है, जिनमें मृतक, डुप्लीकेट और बड़े जमीन मालिक शामिल हैं। झारखंड में अब तक 2.5 लाख कार्ड रद्द किए जा चुके हैं।
तकनीकी और प्रशासनिक अड़चनें
72.9 लाख राशनकार्ड में से 14.6 लाख में आधार लिंकिंग नहीं हुई। पुरानी ई-पॉस मशीन, धीमा नेटवर्क, सर्वर ओवरलोड और बायोमेट्रिक विफलता जैसी समस्याएं प्रक्रिया को रोक रही हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में लोग बार-बार प्रखंड कार्यालय और राशन दुकानों के चक्कर लगाने को मजबूर हैं।
आदिवासी समुदाय पर असर
मनिका प्रखंड में आदिवासी कार्डधारकों का 71% ई-केवाईसी पूरा नहीं हुआ। कई परिवारों के कार्ड पर केवल एक सदस्य का ही सत्यापन हुआ, जिससे राशन वितरण बंद हो गया।
सरकारी निर्देश और लागू करने में कमी
केंद्र ने ई-केवाईसी न होने पर कारण दर्ज करने के निर्देश दिए, लेकिन राज्य सरकार ने राशन डीलरों को कोई मानकीकृत फॉर्मेट नहीं दिया। इससे डेटा अधूरा और बिखरा हुआ रह गया। अब तक स्पष्ट नहीं कि जिन कार्डधारकों का ई-केवाईसी नहीं हो सका, उनके लिए क्या विकल्प होंगे।
Reporter | Samachar Post
मैंने सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ झारखंड से पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री ली है। पत्रकारिता के क्षेत्र में बतौर रिपोर्टर मेरा अनुभव फिलहाल एक साल से कम है। सामाचार पोस्ट मीडिया के साथ जुड़कर स्टाफ रिपोर्टर के रूप में काम कर रही हूं।