Samachar Post रिपोर्टर, रांची: झारखंड सरकार राज्य में सरकारी अधिवक्ताओं की नियुक्ति में आरक्षण लागू करने की तैयारी शुरू कर दी है। विधि विभाग इसको लेकर प्रस्ताव तैयार कर रहा है और होमवर्क जारी है।
आरक्षण के लागू होने से सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट और सिविल कोर्ट में आरक्षित कोटि के हर वर्ग का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित होगा।
वर्तमान में पूरे देश में सरकारी अधिवक्ताओं की नियुक्ति में आरक्षण का प्रावधान नहीं है। केवल जेपीएससी द्वारा नियुक्त सिविल जज जूनियर और प्रथम श्रेणी न्यायिक दंडाधिकारियों में ही आरक्षण लागू है।
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सुप्रीम कोर्ट में इंपैनल्ड अधिवक्ता
झारखंड सरकार से जुड़े मामलों की सुप्रीम कोर्ट पैरवी के लिए वर्तमान में 67 अधिवक्ता इंपैनल्ड हैं। इसमें एएजी, स्टैंडिंग कॉउंसेल, एडवोकेट ऑन रेकॉर्ड, आर्गुइंग कॉउंसेल और सीनियर एडवोकेट शामिल हैं। कुछ की नियुक्ति पटना हाईकोर्ट, कोलकाता हाईकोर्ट और एनसीएलटी के लिए भी की गई है।
महाधिवक्ता कार्यालय और सिविल कोर्ट
महाधिवक्ता कार्यालय: लगभग 145 अधिवक्ताओं की टीम है, जिसमें एजी, एएजी, सीनियर स्टैंडिंग कॉउंसेल, गवर्नमेंट एडवोकेट, गवर्नमेंट प्लीडर आदि शामिल हैं। कुल 29 प्रमुख पद हैं।
सिविल कोर्ट: अलग से गवर्नमेंट प्लीडर (GP) और एडिशनल पब्लिक प्रोसिक्यूटर (APP) नियुक्त हैं, संख्या 100 से अधिक।
विशेषज्ञों की राय
विधि विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार को अपने मुकदमों की स्थिति पर भी ध्यान देना चाहिए। कई मामलों में दस्तावेज सही समय पर प्रस्तुत नहीं किए जाते और सरकारी अधिवक्ता पर्याप्त तरीके से पक्ष नहीं रख पाते। इसका नतीजा यह होता है कि सरकार कोर्ट में अक्सर हारी हुई स्थिति में दिखाई देती है।
Reporter | Samachar Post
मैंने सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ झारखंड से पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री ली है। पत्रकारिता के क्षेत्र में बतौर रिपोर्टर मेरा अनुभव फिलहाल एक साल से कम है। सामाचार पोस्ट मीडिया के साथ जुड़कर स्टाफ रिपोर्टर के रूप में काम कर रही हूं।