- स्टेट ब्लाइंडनेस कंट्रोल आफिसर बोलें- राज्य के अन्य मेडिकल कॉलेजों में भी आई बैंक विकसित करने की योजना पर चल रहा काम
Samachar Post रिपोर्टर, रांची : राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स के रिजनल इंस्टीट्यूट ऑफ आप्थैल्मोलॉजी (आरआईओ) में राष्ट्रीय नेत्रदान पखवाड़ा का आयोजन किया गया। स्टेट ब्लाइंडनेस कंट्रोल आफिसर डॉ. पंकज कुमार ने बताया कि अब तक रिम्स में 271 कॉर्निया रिट्रीवल और 171 ट्रांसप्लांट किया जा चुका है।
अब स्वास्थ्य विभाग राज्य के अन्य मेडिकल कॉलेजों में भी आई बैंक विकसित करने की योजना पर काम कर रहा है। जिससे कि नेत्रदान को रफ्तार मिलेगी। इससे कई लोगों के जीवन में दोबारा रौशनी लौट सकेगी। बताते चले कि 40वें राष्ट्रीय नेत्रदान पखवाड़ा के अवसर पर रिम्स में राजकीय नेत्र अधिकोष की ओर से शनिवार को नेत्रदाता परिवारों का सम्मान किया गया।
रिम्स में आधुनिक तकनीक से हो रहा निःशुल्क कॉर्निया ट्रांसप्लांट
इस दौरान नेत्र विभाग के एचओडी डॉ. सुनील कुमार ने बताया कि रिम्स आई बैंक लगातार बेहतर कार्य कर रहा है। यहां एडवांस्ड केराटोप्लास्टी जैसी आधुनिक तकनीक से निःशुल्क कॉर्निया ट्रांसप्लांट किया जा रहा है। जबकि निजी अस्पतालों में इसका खर्ट 80 हजार से 1 लाख रुपये तक है। उन्होंने कहा कि यदि लोग नेत्रदान की प्रतिज्ञा लें तो राज्य में कॉर्नियल अंधापन को काफी हद तक कम किया जा सकता है। मौके विभाग के चिकित्सक डॉ. एम. दीपक लकड़ा, डॉ राहुल प्रसाद, सीनियर व जूनियर रेजिडेंट, पारामेडिकल स्टाफ, नर्सिंग स्टाफ, राजकीय नेत्र अधिकोष के सभी कर्मचारी मौजूद थे।
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नेत्रदान का संकल्प लेने की अपील
रिम्स की डीन एकेडमिक डॉ शशि बाला सिंह ने कहा कि हम कुछ पलों का अंधकार सहन नहीं कर पाते, तो उन लोगों का दर्द कितना गहरा होगा जो जीवन भर अंधकार में जी रहे हैं। उन्होंने सभी से नेत्रदान का संकल्प लेने की अपील की। सोट्टो झारखंड के नोडल पदाधिकारी डॉ. राजीव रंजन ने कहा कि रिम्स आई बैंक की सक्रियता और समर्पण का परिणाम है कि यहां कॉर्निया ट्रांसप्लांट के लिए प्रतीक्षा सूची नहीं है। कोई भी मरीज खाली हाथ नहीं लौटता, क्योंकि राजकीय नेत्र अधिकोष में पर्याप्त कॉर्निया उपलब्ध रहता है।
नेत्रदाता परिवारों को किया सम्मानित
कार्यक्रम में स्व. हीरामणि देवी, स्व. कुशल कुमार मुंडा, स्व. मृदुला सिन्हा, स्व. संतोष कुमार जैन, स्व. जेनेट हेरेंज, स्व. दीपक टोप्पो, स्व. शारदा वोरा, स्व. राजकुमार प्रसाद, स्व. लिता निर्मल कुजूर और स्व. लोकेश चंद्र शर्मा के परिजनों को झारखंड की पारंपरिक शॉल, सर्टिफिकेट और स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।
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