Samachar Post रिपोर्टर, रांची : भगवान बिरसा मुंडा बायोलॉजिकल पार्क (ओरमांझी) एक बार फिर सुर्खियों में है। यहां अफसरों की मनमानी और लापरवाही का आलम यह है कि निदेशक की कुर्सी पर चार साल से अतिरिक्त प्रभार में एक वरिष्ठ अधिकारी जमे बैठे हैं। वहीं दूसरी ओर रेंजरों को 10-10 जगहों का अतिरिक्त काम सौंपा गया है।
अफसर सिंगापुर टूर पर, जू के जानवर मर रहे
हाल ही में पार्क के निदेशक और अन्य अफसर सिंगापुर दौरे पर गए हैं। उद्देश्य बताया गया है कि वहां के चिड़ियाघरों से सीख लेकर झारखंड में आधुनिक जू बनाया जाएगा। लेकिन हकीकत यह है कि बिरसा मुंडा जू के जानवर लगातार दम तोड़ रहे हैं। दो दिन पहले यहां की इकलौती मादा जिराफ ‘मिष्टी’ की मौत हो गई। यह कोई पहला मामला नहीं है, यहां जानवरों की मौत की लंबी फेहरिस्त है।
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निदेशक पद पर ऊंचे अधिकारी का कब्जा
बिरसा मुंडा जू के निदेशक का पद CF स्तर के अधिकारी के लिए स्वीकृत है। हाल ही में इसे DFO स्तर पर अनुमोदन देने का प्रस्ताव केंद्र सरकार ने स्वीकार किया है। बावजूद इसके, पिछले चार साल से Adl. PCCF जब्बर सिंह अतिरिक्त प्रभार में इस पद पर बने हुए हैं। विभाग में इस पर तंज कसा जाता है , थानेदार की कुर्सी पर DGP बैठे हैं।
रेंजर रामबाबू पर 10 पदों का बोझ
जू के रेंजर रामबाबू की स्थिति और भी हैरान करने वाली है। उन्हें एक साथ 10 जगहों का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है। इनमें कोडरमा, हजारीबाग, गिरिडीह समेत कई वाइल्ड लाइफ रेंज और बिरसा जू के दो जोन शामिल हैं। सवाल यह है कि एक ही अधिकारी इतने इलाकों का कामकाज कैसे संभाल सकता है? यह मामला विभाग की कार्यप्रणाली और पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े करता है।
सवालों के घेरे में वन विभाग
विदेशी टूर के नाम पर सरकारी खर्च, जू में जानवरों की मौत और अफसरों की कुर्सी पर पकड़ ने वन विभाग की कार्यशैली को कटघरे में खड़ा कर दिया है। जानवरों के संरक्षण और उनकी बेहतर देखभाल का दावा करने वाले विभाग पर अब जांच और सुधार की मांग उठने लगी है।
Reporter | Samachar Post
मैंने सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ झारखंड से पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री ली है। पत्रकारिता के क्षेत्र में बतौर रिपोर्टर मेरा अनुभव फिलहाल एक साल से कम है। सामाचार पोस्ट मीडिया के साथ जुड़कर स्टाफ रिपोर्टर के रूप में काम कर रही हूं।