Samachar Post रिपोर्टर, रांची : झारखंड हाईकोर्ट ने एक अहम फैसले में स्पष्ट किया है कि बिना दोषसिद्धि केवल आपराधिक कार्यवाही का लंबित रहना किसी भी कर्मचारी के पेंशन, ग्रेच्युटी और अन्य सेवानिवृत्ति लाभ रोकने का आधार नहीं हो सकता। कोर्ट ने कहा कि यह कर्मचारी का वैधानिक अधिकार है, जिसे मनमाने तरीके से छीना नहीं जा सकता।
महिला लेक्चरर की याचिका पर आया फैसला
यह फैसला हाईकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायमूर्ति राजेश शंकर की खंडपीठ ने सेवानिवृत्त महिला लेक्चरर शांति देवी की रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया।
शांति देवी की नियुक्ति 1984 में बी.एन.जे. कॉलेज में हिंदी व्याख्याता के रूप में हुई थी। बाद में वे राम लखन सिंह यादव कॉलेज और फिर 2003 में झारखंड लोक सेवा आयोग (JPSC) की सदस्य बनीं।
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गिरफ्तारी, निलंबन और जबरन सेवानिवृत्ति
2011 में सतर्कता विभाग ने कुछ आपराधिक मामलों में शांति देवी को गिरफ्तार किया। जमानत मिलने के बाद 2014 में सेवा में बहाल हुईं, लेकिन 2015 में फिर से निलंबित कर दी गईं। 2018 में रांची विश्वविद्यालय ने उन्हें अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी और 2019 में तीन माह का वेतन देकर रिटायर कर दिया।
हालाँकि, PF का भुगतान तो हो गया लेकिन पेंशन, ग्रेच्युटी और अवकाश नकदीकरण जैसे लाभ अब तक रोक दिए गए थे। इसी के खिलाफ उन्होंने हाईकोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया।
कोर्ट का स्पष्ट संदेश
हाईकोर्ट ने कहा, सिर्फ आपराधिक मामले लंबित होने से कर्मचारी को पेंशन और ग्रेच्युटी से वंचित नहीं किया जा सकता। जब तक दोषसिद्धि नहीं होती, सेवानिवृत्ति लाभ रोकना अवैध है।
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