Samachar Post डेस्क, रांची : पटना राजधानी पटना मंगलवार को उर्दू-बांग्ला टीईटी अभ्यर्थियों के विरोध प्रदर्शन से गूंज उठा। हजारों की संख्या में अभ्यर्थी जदयू कार्यालय के बाहर धरने पर बैठ गए और रिज़ल्ट प्रकाशित करने की मांग करने लगे। शुरुआत में शांतिपूर्ण रहा यह आंदोलन धीरे-धीरे उग्र होता चला गया और छात्रों व पुलिस के बीच झड़प की स्थिति बन गई। हालात को देखते हुए बड़ी संख्या में सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया गया और एहतियातन जदयू दफ़्तर बंद कर दिया गया।
10 साल से रिज़ल्ट का इंतज़ार, अब आत्मदाह करेंगे
प्रदर्शनकारियों का कहना है कि वे पिछले 10–12 साल से रिज़ल्ट जारी करने की मांग कर रहे हैं, लेकिन सरकार लगातार उनकी अनदेखी कर रही है। एक अभ्यर्थी ने आरोप लगाया, 2013 में हमारा रिज़ल्ट निकला था, मेरिट लिस्ट में नाम आया था। कोर्ट का फैसला भी हमारे पक्ष में था और मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया था। लेकिन आज तक नौकरी नहीं मिली। अगर सरकार अब भी नहीं मानी तो हम आत्मदाह करेंगे।
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महिला अभ्यर्थियों की भी बड़ी भागीदारी
धरने में बड़ी संख्या में छात्राएं भी शामिल हुईं। हाथों में तख्तियां लिए वे लगातार नारेबाजी करती रहीं और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मिलने की मांग पर अड़ी रहीं।
मेरिट लिस्ट के बाद भी फेल घोषित
आंदोलनकारी छात्रों का कहना है कि रिज़ल्ट प्रकाशित होने के बाद पंचायत, प्रखंड और जिला स्तर पर आवेदन लिए गए थे। मेरिट लिस्ट में नाम आने के बावजूद अचानक उन्हें फेल घोषित कर दिया गया, जिससे उनकी उम्मीदें टूट गईं।
12 हज़ार अभ्यर्थियों का आंदोलन
अभ्यर्थियों का कहना है कि अब उन्हें न्याय केवल मुख्यमंत्री से ही मिल सकता है। बताया जा रहा है कि इस आंदोलन में करीब 12 हज़ार उर्दू-बांग्ला टीईटी अभ्यर्थी जुड़े हुए हैं।
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मैंने सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ झारखंड से पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री ली है। पत्रकारिता के क्षेत्र में बतौर रिपोर्टर मेरा अनुभव फिलहाल एक साल से कम है। सामाचार पोस्ट मीडिया के साथ जुड़कर स्टाफ रिपोर्टर के रूप में काम कर रही हूं।