- जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन बोला – साफ कैंटीन और रेस्ट रूम की मांग साल भर से लंबित
Samachar Post रिपोर्टर, रांची : रिम्स की फर्स्ट ईयर पीजी डॉक्टर डॉ. अरुणा की स्थिति अब भी नाजुक बनी हुई है। आर्थो कैंटीन की चाय पीने के बाद तबीयत बिगड़ने के कारण उन्हें क्रिटिकल केयर आईसीयू में वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया है। डॉक्टरों के मुताबिक उनकी हालत गंभीर है और लगातार मॉनिटरिंग की जा रही है।
जेडीए ने प्रबंधन को बताया जिम्मेदार
इधर, रिम्स जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन (JDA) ने इस पूरे मामले में अस्पताल प्रबंधन को जिम्मेदार ठहराया है। जेडीए का कहना है कि एक साल पहले ही डॉक्टरों के लिए रेस्ट रूम और साफ-सुथरी कैंटीन की मांग की गई थी, लेकिन रिम्स प्रशासन ने इसे नजरअंदाज कर दिया।
जेडीए ने कहा कि 1 साल पहले हमने डॉक्टरों के लिए रेस्ट रूम और एक क्लीन कैंटीन की मांग की थी। लेकिन रिम्स प्रशासन सोता रहा। आज चाहे वे जो भी कदम उठाएं, वे इस घटना के लिए बराबर जिम्मेदार हैं।
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कैंपस की हालत पर सवाल
जेडीए ने आरोप लगाया कि रिम्स कैंपस में हर जगह गंदगी और कचरे के ढेर लगे रहते हैं। जबकि प्रशासन केवल अनावश्यक नियम और फाइन लगाने में व्यस्त है। उन्होंने कहा कि प्रबंधन का ध्यान मनी मिल्किंग पर है, न कि डॉक्टरों और मरीजों के हित पर।
प्रबंधन ढांचे में बदलाव की मांग
जेडीए ने स्पष्ट कहा कि रिम्स प्रशासन में जो लोग स्टूडेंट वेलफेयर और हॉस्टल मैनेजमेंट देख रहे हैं, उन्हें तत्काल बदला जाना चाहिए। एसोसिएशन ने मांग की कि –
- DSW (डीन स्टूडेंट वेलफेयर) का चुनाव छात्रों द्वारा किया जाए, न कि प्रशासन द्वारा।
- हॉस्टल इंचार्ज को हॉस्टल स्टूडेंट्स चुनें, न कि प्रशासन।
जांच के बावजूद नाराजगी
हालांकि घटना के बाद रिम्स प्रबंधन ने कैंटीनों को सील कर दिया है और जांच शुरू की है, लेकिन जूनियर डॉक्टरों का कहना है कि यह कदम बहुत देर से उठाया गया है। उनकी नाराजगी इस बात को लेकर है कि यदि पहले ही मांगे पूरी की जातीं तो यह गंभीर स्थिति उत्पन्न ही नहीं होती।
Reporter | Samachar Post
मैंने सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ झारखंड से पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री ली है। पत्रकारिता के क्षेत्र में बतौर रिपोर्टर मेरा अनुभव फिलहाल एक साल से कम है। सामाचार पोस्ट मीडिया के साथ जुड़कर स्टाफ रिपोर्टर के रूप में काम कर रही हूं।