- बंद खदानें बन सकती हैं भविष्य की ताकत
Samachar Post रिपोर्टर, रांची : झारखंड की पुरानी और बंद पड़ी खनन भूमि अब राज्य के भविष्य को नई दिशा दे सकती है। पर्यावरण थिंक टैंक आई-फॉरेस्ट की एक नई रिपोर्ट में कहा गया है कि इन जमीनों के सही और योजनाबद्ध उपयोग से राज्य में हरित विकास को बढ़ावा दिया जा सकता है।
राज्य-स्तरीय सम्मेलन में जारी हुई रिपोर्ट
यह रिपोर्ट राज्य-स्तरीय सम्मेलन “झारखंड में न्यायसंगत संक्रमण और हरित विकास के मार्ग” के दौरान जारी की गई। सम्मेलन में सरकार, सार्वजनिक क्षेत्र, उद्योग जगत और नागरिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
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11 हजार हेक्टेयर से अधिक भूमि उपलब्ध
रिपोर्ट के अनुसार, झारखंड में बंद और गैर-संचालित कोयला खदानों की 11,000 हेक्टेयर से अधिक भूमि वर्तमान में उपलब्ध है। अगले 5 से 10 वर्षों में यह क्षेत्रफल बढ़कर 45,000 हेक्टेयर तक पहुंच सकता है।
इन जिलों में बन सकते हैं नए अवसर
आई-फॉरेस्ट ने सुझाव दिया है कि धनबाद, बोकारो और रामगढ़ जैसे जिलों में इस भूमि का योजनाबद्ध उपयोग किया जाए। इससे नवीकरणीय ऊर्जा, हरित उद्योग और लॉजिस्टिक्स के नए अवसर पैदा हो सकते हैं।
पर्यावरण संरक्षण के साथ रोजगार का मौका
रिपोर्ट में कहा गया है कि खनन भूमि का पुनः उपयोग न केवल पर्यावरण संरक्षण में मदद करेगा, बल्कि राज्य में रोजगार सृजन और सतत विकास को भी गति देगा।
Reporter | Samachar Post
मैंने सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ झारखंड से पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री ली है। पत्रकारिता के क्षेत्र में बतौर रिपोर्टर मेरा अनुभव फिलहाल एक साल से कम है। सामाचार पोस्ट मीडिया के साथ जुड़कर स्टाफ रिपोर्टर के रूप में काम कर रही हूं।