Samachar Post डेस्क, रांची :लोकसभा में सोमवार को वंदे मातरम् के 150 वर्ष पूरे होने पर विशेष चर्चा का शुभारंभ करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की आज़ादी और स्वतंत्रता संग्राम में इस गीत के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि वंदे मातरम् का पुण्य स्मरण करना हम सबका सौभाग्य है और आज कोई पक्ष या विपक्ष नहीं है।
यह भी पढ़ें :लोकसभा में ‘वंदे मातरम’ के 150 वर्ष पर विशेष चर्चा आज से; प्रधानमंत्री मोदी करेंगे शुरुआत
वंदे मातरम् का ऐतिहासिक महत्व
पीएम मोदी ने याद दिलाया कि जब वंदे मातरम् के 50 वर्ष पूरे हुए थे, तब देश गुलामी की जंजीरों में बंधा था, और 100 वर्ष पूरे होने पर देश में आपातकाल लगा हुआ था। उन्होंने कहा कि यह गीत स्वतंत्रता संग्राम को साहस और संकल्प का मार्ग दिखाने वाला प्रतीक रहा। प्रधानमंत्री ने कहा कि आज, वंदे मातरम् के 150 साल पूरे होने पर भारत ने विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने का गौरव हासिल किया है। यह वही पवित्र गीत है जिसने 1947 में देश को स्वतंत्रता दिलाने में प्रेरणा दी। पीएम मोदी ने बताया कि वंदे मातरम् में हजारों वर्षों की सांस्कृतिक ऊर्जा भरी हुई थी। 1857 के बाद अंग्रेजों ने महसूस किया कि भारत में लंबे समय तक राज करना कठिन है और लोगों को बांटना आवश्यक था।
1906 का बारिसाल जुलूस और सभी धर्मों की एकता
मोदी ने 20 मई 1906 को बारीसाल (वर्तमान बांग्लादेश) में निकाले गए जुलूस का जिक्र किया, जिसमें 10 हजार से अधिक लोग शामिल थे, और हिंदू-मुस्लिम सभी धर्मों और जातियों के लोगों ने मिलकर वंदे मातरम् गाया। पीएम मोदी ने बताया कि ब्रिटिश सरकार ने स्कूलों में वंदे मातरम् गाने पर पाबंदी लगाई, और कई स्वतंत्रता सेनानियों ने इसे गाते हुए बलिदान दिया, जैसे खुदीराम बोस, अशफ़ाक उल्ला ख़ान, राम प्रसाद बिस्मिल और राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी।
बंगाल विभाजन और वंदे मातरम् का नारा
1905 में बंगाल विभाजन के दौरान वंदे मातरम् अंग्रेजों के लिए चुनौती और देश के लिए संकल्प की चट्टान बन गया। पीएम मोदी ने कहा कि यह नारा गली-गली में फैल गया और बंगाल की एकता का प्रतीक बन गया।
Reporter | Samachar Post