- योजना पर करोड़ों खर्च, यात्रियों को नहीं मिल पा रहा पूरा लाभ
Samachar Post डेस्क,बिहार :बिहार में ग्रामीण सड़कों को जिला मुख्यालयों से जोड़ने के लिए तेज़ी से काम किया जा रहा है। सरकार का दावा है कि इस पहल से ग्रामीण इलाकों में आवागमन आसान होगा और यात्रियों को बेहतर सार्वजनिक परिवहन सुविधा मिलेगी। इसी योजना के तहत राज्य के विभिन्न जिलों में नए बस स्टॉप और बस पड़ाव बनाए जा रहे हैं।
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जमीनी हकीकत: बस स्टॉप पर अतिक्रमण
सरकारी दावों के उलट जमीनी स्थिति चिंताजनक नजर आ रही है। पटना सहित कई जिलों में पुराने और नए बस स्टॉप अतिक्रमण की चपेट में हैं। कहीं बस स्टॉप फल-सब्जी मंडी में तब्दील हो गए हैं, तो कहीं इनके सामने अवैध रूप से वाहन खड़े कर दिए जाते हैं। इस वजह से बसों को रुकने की जगह नहीं मिलती और यात्रियों को सड़क पर खड़े होकर बस का इंतजार करना पड़ता है, जिससे दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ गया है। परिवहन विभाग के अनुसार, एक बस स्टॉप के निर्माण पर औसतन करीब 4.72 लाख रुपये खर्च हो रहे हैं। इसके बावजूद यात्रियों को इनका पूरा लाभ नहीं मिल पा रहा है। राज्य में करीब 700 नए बस पड़ाव बनाने की योजना है, लेकिन जानकारी के मुताबिक 150 से अधिक पुराने बस स्टॉप पर पहले ही अतिक्रमण हो चुका है। कई स्थानों पर बसें इन स्टॉप पर रुकती ही नहीं हैं।
ग्रामीण यात्रियों के लिए सुविधाओं का दावा
ग्रामीण क्षेत्रों में बस स्टॉप बनाने का मुख्य उद्देश्य यात्रियों को धूप, बारिश और ठंड से राहत देना है। सरकार का कहना है कि नए बस पड़ावों पर छत, बैठने की व्यवस्था और रोशनी की सुविधा दी जा रही है। दिव्यांग यात्रियों के लिए विशेष इंतजाम किए जा रहे हैं और हर बस स्टॉप पर पुलिस व आपातकालीन नंबर भी लिखे जा रहे हैं।
कितने बस स्टॉप बने, कितने बाकी
योजना के तहत ग्रामीण इलाकों में कुल 1582 बस स्टॉप बनाए जाने हैं। इनमें से 1026 बस स्टॉप का निर्माण पूरा हो चुका है, जबकि 231 बस स्टॉप का काम अभी जारी है। प्रति बस पड़ाव करीब 1.90 लाख रुपये खर्च किए जा रहे हैं। इसके अलावा सड़क सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए यातायात नियमों से जुड़े बोर्ड भी लगाए जा रहे हैं।
प्रशासन की कार्रवाई पर सवाल
इसके बावजूद कई स्थानों पर बने बस स्टॉप अतिक्रमण के कारण बेकार साबित हो रहे हैं। दुकानदारों और स्थानीय लोगों ने इन पर कब्जा कर लिया है, जबकि अतिक्रमण हटाने को लेकर प्रशासन की कार्रवाई काफी कमजोर नजर आ रही है। यात्रियों का कहना है कि जब बसें ही बस स्टॉप पर नहीं रुकतीं, तो इनके निर्माण पर खर्च हो रहे करोड़ों रुपये का कोई औचित्य नहीं रह जाता। लोगों का मानना है कि बस स्टॉप बनाने के साथ-साथ उनके रखरखाव और अतिक्रमण हटाने पर भी उतना ही ध्यान देना जरूरी है।
Reporter | Samachar Post