Samachar Post रिपोर्टर, रांची :झारखंड की राजनीति में बयानबाजी का तूफान तेज हो गया है। जेएसएससी सीजीएल के सफल अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र देने के दौरान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने क्यूआर कोड के जरिए चंदा इकट्ठा करने को लेकर टिप्पणी की थी। उन्होंने कहा था कि यह पहली बार सुन रहे हैं कि कोर्ट-कचहरी के नाम पर चंदा इकट्ठा किया जा रहा है और अगली बार इस तरह के काम करने वालों को सीधे जेल भेजा जाएगा।
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विपक्षी नेता ने सीधे हमला बोला
मुख्यमंत्री के इस बयान पर नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने कड़ा हमला किया। सोशल मीडिया पर साझा पोस्ट में उन्होंने कहा कि यह हैरान करने वाली बात है कि वही व्यक्ति, जो झारखंड को लूटकर अपने वकीलों की फीस चुका रहा हो, गरीब छात्रों का मजाक उड़ा रहा है। मरांडी ने मुख्यमंत्री से सवाल किया कि भ्रष्टाचार के आरोपों में जेल से बचने के लिए उन्होंने रांची से दिल्ली तक वकीलों की पूरी फौज में कितने करोड़ रुपये खर्च किए। उन्होंने कहा कि जिन छात्रों के पास संसाधन नहीं हैं, वे मजबूरी में चंदा और क्यूआर कोड का सहारा ले रहे हैं। बाबूलाल मरांडी ने मुख्यमंत्री के पुराने बयानों और घटनाओं का तंज भी कसते हुए कहा कि चोर पुलिस से एक कदम आगे भागता है, और याद दिलाया कि मुख्यमंत्री दिल्ली से चप्पल छोड़कर भागे थे। उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री ने तकनीक के दुरुपयोग की बात कही, लेकिन खुद जांच एजेंसियों के सामने मोबाइल फोन जांच कराने से इनकार किया।
छात्रों की पीड़ा और संघर्ष को मजाक समझना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण
मरांडी ने नेपाल से जुड़े बयान को भी सवालों के घेरे में रखा। उन्होंने पूछा कि यदि कोई गड़बड़ी नहीं हुई, तो 10 छात्रों का रिजल्ट अभी तक लंबित क्यों है, और अदालत ने जांच जारी रखने का आदेश क्यों दिया है। उन्होंने कहा कि युवाओं को न्याय मिलेगा, लेकिन मुख्यमंत्री के अहंकार और सत्ता के नशे के कारण ऐसा प्रतीत होता है कि उनका समय जेल, बेल और कोर्ट-कचहरी में ही बीतेगा। छात्रों की पीड़ा और संघर्ष को मजाक समझना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।
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