Samachar Post रिपोर्टर,रांची :झारखंड के राज्यपाल सह विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति संतोष कुमार गंगवार ने राज्य की उच्च शिक्षा व्यवस्था से जुड़े एक महत्वपूर्ण संशोधन को मंजूरी प्रदान कर दी है। यह संशोधन UGC Regulations 2018 के अनुरूप तैयार किए गए न्यूनतम योग्यता, शिक्षकों–अधिकारियों की नियुक्ति और उच्च शिक्षा मानक रखरखाव 2022 के परिनियम से संबंधित है। इस स्वीकृति के बाद विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में शिक्षकों, अधिकारियों और शैक्षणिक कर्मचारियों की नियुक्ति प्रक्रिया में न्यूनतम योग्यता के मानदंड अपडेट हो गए हैं। साथ ही उच्च शिक्षा में गुणवत्ता नियंत्रण और मानक संचालन को भी और अधिक सुदृढ़ किया गया है। सरकार का मानना है कि इससे उच्च शिक्षा के क्षेत्र में पारदर्शिता, गुणवत्ता और विश्वसनीयता बढ़ेगी तथा राष्ट्रीय शिक्षा मानकों के अनुरूप व्यवस्था मजबूत होगी।
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व्यावसायिक संस्थानों में मनमानी फीस पर लगेगी रोक, शुल्क नियमन विधेयक 2025 को भी मिली मंजूरी
राज्यपाल ने झारखंड विधानसभा द्वारा पारित झारखंड व्यावसायिक शिक्षण संस्थान (शुल्क विनियमन) विधेयक, 2025 पर भी अपनी स्वीकृति दे दी है। अब यह विधेयक कानून का रूप लेगा। इसका मुख्य उद्देश्य राज्य के पेशेवर शिक्षण संस्थानों में फीस निर्धारण, वृद्धि, निगरानी और नियंत्रण को पारदर्शी बनाना है। कानून लागू होने के बाद संस्थान मनमाने तरीके से फीस नहीं बढ़ा सकेंगे। इसमें अधिकतम शुल्क सीमा, शुल्क संशोधन की तय प्रक्रिया, निगरानी तंत्र और उल्लंघन होने पर दंडात्मक कार्रवाई जैसे प्रावधान शामिल होंगे। सरकार का दावा है कि इस कानून से अभिभावकों और छात्रों को राहत मिलेगी, साथ ही शिक्षा क्षेत्र में जवाबदेही भी सुनिश्चित होगी।
नॉन-टीचिंग स्टाफ की नियुक्ति, प्रमोशन और कैडर संरचना भी होगी व्यवस्थित
राज्यपाल ने विश्वविद्यालयों में गैर शैक्षणिक कर्मचारियों से जुड़े एक अन्य महत्वपूर्ण संशोधन “Amended Statute for Appointment, Promotion & Cadre Structure of Non-Teaching Staff (7th CPC Level 02–08), 2024” को भी हरी झंडी दे दी है। इससे विश्वविद्यालय मुख्यालय, संबद्ध कार्यालयों और स्वायत्त/घटक कॉलेजों में नॉन–टीचिंग कर्मचारियों की भर्ती, पदोन्नति और कैडर संरचना अधिक पारदर्शी, व्यवस्थित और स्पष्ट हो जाएगी।
उच्च शिक्षा में सुधार की दिशा में अहम फैसला
विशेषज्ञों का मानना है कि राज्यपाल द्वारा दी गई ये मंजूरियां झारखंड की उच्च शिक्षा व्यवस्था को राष्ट्रीय स्तर के मानकों के अनुरूप लाने में बड़ी भूमिका निभाएंगी। इससे नियुक्ति प्रक्रिया में पारदर्शिता, शुल्क नियंत्रण में सख्ती, और शैक्षणिक–प्रशासनिक ढांचे में सुधार सुनिश्चित होगा, जो आने वाले समय में छात्रों, शिक्षकों और पूरे शैक्षिक परिवेश को सकारात्मक रूप से प्रभावित करेगा।
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