Samachar Post डेस्क, रांची : सुप्रीम कोर्ट ने पर्यावरण संरक्षण से जुड़ा बड़ा फैसला सुनाया है। अदालत ने देश के सभी राष्ट्रीय उद्यानों और वन्यजीव अभयारण्यों के एक किलोमीटर के दायरे में किसी भी तरह की खनन गतिविधि पर पूर्ण रोक लगा दी है। अब यह आदेश पूरे भारत में लागू होगा।
पहले गोवा तक सीमित था प्रतिबंध, अब पूरे देश में लागू
इससे पहले यह प्रतिबंध केवल गोवा राज्य के लिए लागू था, लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने इसे संपूर्ण देश में लागू करने का निर्देश दिया है। अदालत ने कहा कि “खनन गतिविधियां वन्यजीवों के प्राकृतिक आवास और पर्यावरण के लिए गंभीर खतरा पैदा करती हैं, इसलिए इसे रोकना जरूरी है।
सुप्रीम कोर्ट की पीठ का निर्णय
यह फैसला मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की पीठ ने टी.एन. गोडावरमन थिरुमलपद केस की सुनवाई के दौरान दिया। अदालत ने अपने 3 जून 2022 के आदेश में संशोधन करते हुए स्पष्ट किया कि अब किसी भी राष्ट्रीय उद्यान या अभयारण्य के भीतर या उसके 1 किमी दायरे में खनन की अनुमति नहीं दी जाएगी।
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झारखंड के सारंडा वन क्षेत्र पर भी पड़ेगा असर
यह आदेश झारखंड के प्रसिद्ध सारंडा वन क्षेत्र को भी सीधे प्रभावित करेगा। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि सारंडा क्षेत्र को वन्यजीव अभयारण्य के रूप में अधिसूचित किया जाए ताकि वहां के वन्यजीवों और पर्यावरण की रक्षा हो सके। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि इस क्षेत्र में रहने वाले आदिवासियों और वनवासियों के अधिकार वन अधिकार अधिनियम (Forest Rights Act) के तहत पूरी तरह सुरक्षित रहेंगे।
सार्वजनिक संस्थानों पर नहीं होगी रोक
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस क्षेत्र में मौजूद स्कूल, अस्पताल, रेल लाइनें और अन्य सार्वजनिक संस्थान यथावत रहेंगे। इन पर किसी तरह की रोक नहीं होगी, लेकिन खनन गतिविधि पूरी तरह प्रतिबंधित रहेगी।
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मैंने सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ झारखंड से पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री ली है। पत्रकारिता के क्षेत्र में बतौर रिपोर्टर मेरा अनुभव फिलहाल एक साल से कम है। सामाचार पोस्ट मीडिया के साथ जुड़कर स्टाफ रिपोर्टर के रूप में काम कर रही हूं।