Samachar Post रिपोर्टर, रांची : झारखंड सरकार के गृह, कारा एवं आपदा प्रबंधन विभाग ने ई-साक्ष्य मैनेजमेंट रूल्स 2025 अधिसूचित कर दिए हैं। सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 के अनुरूप तैयार ये नियम राज्य में अपराध जांच प्रणाली को पूरी तरह डिजिटल, पारदर्शी और साक्ष्य-आधारित बनाने का लक्ष्य रखते हैं।
नए नियमों की प्रमुख बातें
अपराध से जुड़े सभी डिजिटल साक्ष्यों को सीसीटीएनएस और आईसीजेएस से लिंक करना अनिवार्य। प्रत्येक साक्ष्य के लिए 16 अंकों का यूनिक साक्ष्य पहचान नंबर (SID) जनरेट किया जाएगा, जिसे केस नंबर से जोड़ा जाएगा। घटना स्थल पर वीडियो और फोटो रिकॉर्डिंग अनिवार्य। सभी रिकॉर्डिंग ई-साक्ष्य मोबाइल एप के जरिए की जाएंगी। रिकॉर्डिंग के साथ जांच अधिकारी को ई-साइंड इलेक्ट्रॉनिक प्रमाणपत्र जारी करना होगा। अदालतें अब आईसीजेएस पोर्टल से सीधे डिजिटल साक्ष्य देख, जांच और प्रबंधित कर सकेंगी। जरूरत पड़ने पर मजिस्ट्रेट को भी ऑनलाइन साक्ष्य उपलब्ध कराया जा सकेगा। मुकदमे के पूरा होने के बाद साक्ष्यों को सुरक्षित आर्काइव मोड में संरक्षित रखा जाएगा।
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क्या है ई-साक्ष्य?
ई-साक्ष्य वह डिजिटल साक्ष्य है जिसे मोबाइल एप के माध्यम से रियल-टाइम में रिकॉर्ड किया जाता है। इसमें घटना स्थल की वीडियो, तस्वीरें, गवाहों की छवियां आदि शामिल होती हैं। प्रत्येक साक्ष्य को सुरक्षित डिजिटल पैकेट में बदला जाएगा, जिसमें SID, टाइम स्टैम्प, जियो लोकेशन, हैश वैल्यू जैसी जानकारियां शामिल होंगी, जिससे इसकी प्रामाणिकता सुनिश्चित होगी। यह कदम झारखंड में अपराध जांच को तेज, पारदर्शी और सुरक्षित बनाने की दिशा में एक बड़ा प्रशासनिक सुधार माना जा रहा है।
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मैंने सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ झारखंड से पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री ली है। पत्रकारिता के क्षेत्र में बतौर रिपोर्टर मेरा अनुभव फिलहाल एक साल से कम है। सामाचार पोस्ट मीडिया के साथ जुड़कर स्टाफ रिपोर्टर के रूप में काम कर रही हूं।