Samachar Post रिपोर्टर,जामताड़ा :झारखंड राज्य आजीविका कर्मचारी संघ के बैनर तले आजीविका मिशन कर्मियों का अनिश्चितकालीन धरना सोमवार को चौथे दिन भी समाहरणालय परिसर के बाहर जारी रहा। बड़ी संख्या में कर्मचारी आंदोलन में शामिल हुए और राज्य सरकार पर उदासीनता का आरोप लगाया।
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सरकार पर उपेक्षा का आरोप
धरना स्थल पर कार्यकारी जिला अध्यक्ष गणेश महतो ने कहा कि केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय मिशन प्रबंधन इकाई (NMMU) के तहत आजीविका कर्मियों को समान काम के बदले समान वेतन और अन्य सुविधाएँ देने के निर्देश दिए हैं, लेकिन झारखंड में अब तक इनका पालन नहीं किया गया।
वर्षों की सेवा, फिर भी सुविधाएँ नहीं
कर्मचारी इक़बाल अहमद ने बताया कि वर्षों से सेवा देने के बावजूद वेतन वृद्धि नहीं हुई, न प्रमोशन, न भत्ता, न सुरक्षा, मनरेगा, पंचायत, स्वास्थ्य समेत कई विभागों में काम करने के बाद भी राज्यकर्मी दर्जा नहीं मिल रहा। उन्होंने कहा हम मजबूर होकर सड़क पर बैठे हैं, क्योंकि हमारी आवाज़ सुनी नहीं जा रही।
अन्य राज्यों से तुलना- बिहार में हर साल इंक्रीमेंट, झारखंड में नहीं
कर्मचारी उत्तम कुमार ने बताया कि कई राज्यों में आजीविका कर्मियों को 50% तक वेतन बढ़ोतरी मिली। बिहार में हर साल स्वत इंक्रीमेंट मिलता है। लेकिन झारखंड में न डीए, न प्रमोशन, न इंक्रीमेंट लागू। उन्होंने कहा दो साल से इंक्रीमेंट फाइल लंबित है। गृह जिले में पोस्टिंग का आदेश भी कागज़ों में ही है।
सरकार की ‘उदासीनता’ पर नाराज़गी
कर्मचारियों ने कहा कि सरकार बार-बार मांग रखने के बावजूद अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर रही। हजारों कर्मचारी आर्थिक असुरक्षा में काम कर रहे हैं, जबकि आजीविका मिशन राज्य की प्रमुख गरीबी उन्मूलन परियोजनाओं में से एक है।कर्मचारियों ने साफ कहा कि जब तक राज्यकर्मी दर्जा, समान वेतन और नियमित पदोन्नति धरना जारी रहेगा।
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