- आईएमए की आपात बैठक में डॉक्टरों का आक्रोश
Samachar Post रिपोर्टर,चाईबासा: चाईबासा में थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों को ब्लड ट्रांसफ्यूजन के बाद एचआईवी संक्रमण की पुष्टि के बाद पूरे झारखंड के चिकित्सा समुदाय में आक्रोश फैल गया है। बिना जांच पूरी किए सिविल सर्जन और ब्लड बैंक इंचार्ज के निलंबन के विरोध में रविवार को आईएमए भवन, करमटोली रांची में झारखंड राज्य स्वास्थ्य सेवाएं संघ की आपात बैठक आयोजित की गई। बैठक में राज्यभर से पहुंचे डॉक्टरों ने एचआईवी संक्रमित बच्चों के प्रति गहरी संवेदना जताई और इस घटना को बेहद गंभीर लेकिन सिस्टम की विफलता बताया। डॉक्टरों ने कहा कि जब तक जांच पूरी नहीं हो जाती, तब तक किसी चिकित्सक या अधिकारी को दोषी ठहराना अनुचित है।
डॉक्टरों ने स्पष्ट किया कि ब्लड ट्रांसफ्यूजन से पहले हर रक्तदाता के सैंपल की एचआईवी समेत पांच संक्रामक रोगों की स्क्रीनिंग होती है, लेकिन “विंडो पीरियड” में संक्रमण की पहचान मौजूदा टेस्ट तकनीक से संभव नहीं होती। ऐसे में ब्लड बैंक इंचार्ज या सिविल सर्जन को जिम्मेदार ठहराना तकनीकी रूप से गलत है।
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डॉक्टरों ने उठाया सवाल – क्या हर जिले के निलंबन से समस्या सुलझेगी?
बैठक में बताया गया कि चाईबासा के अलावा रांची और कोडरमा में भी पहले थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों में एचआईवी संक्रमण के मामले सामने आ चुके हैं। डॉक्टरों ने कहा, अगर अन्य जिलों में भी ऐसे मामले मिलते हैं, तो क्या हर जिले के अधिकारियों को निलंबित किया जाएगा? डॉक्टरों ने सरकार से मांग की कि झारखंड के सभी ब्लड बैंकों में फोर्थ जेनरेशन एलाईजा रीडर और आईडी-नैट मशीनें तत्काल उपलब्ध कराई जाएं, ताकि संक्रमण की सटीक पहचान हो सके। साथ ही, ब्लड बैंकों में पर्याप्त मैनपावर की नियमित नियुक्ति की भी मांग की गई।
थैलेसीमिया और सिकल सेल एनीमिया मरीजों की नियमित जांच जरूरी
बैठक में चिकित्सकों ने अनुशंसा की कि थैलेसीमिया और सिकल सेल एनीमिया के मरीजों की हर छह माह में अनिवार्य स्क्रीनिंग की जाए। संगठन ने स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों और मंत्री के प्रयासों की सराहना की, जिन्होंने ब्लड बैंक प्रणाली को सुदृढ़ करने के लिए एसओपी और वर्चुअल समीक्षा बैठकों की शुरुआत की है।
धनबाद डीसी के आदेश पर भी नाराजगी
बैठक में धनबाद के उपायुक्त द्वारा चिकित्सा कर्मियों के लिए बायोमेट्रिक अटेंडेंस को वेतन से जोड़ने के आदेश पर भी नाराजगी जताई गई। डॉक्टरों ने इसे “अव्यवहारिक और आपातकालीन सेवाओं के विपरीत” बताते हुए सर्वसम्मति से खारिज कर दिया। संगठन ने कहा कि यह आदेश न्यायालय के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन है और इसे तत्काल वापस लिया जाए, अन्यथा चरणबद्ध आंदोलन किया जाएगा। बैठक में आईएमए झारखंड के राज्य सचिव डॉ. प्रदीप कुमार सिंह, डॉ. अभिषेक रामधीन (चैंबर ऑफ कॉमर्स) सहित रांची, बोकारो, चाईबासा और कई जिलों के चिकित्सक मौजूद रहे।
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