Samachar Post डेस्क, रांची :संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) ने सिविल सेवा परीक्षा से जुड़ा एक बड़ा और ऐतिहासिक फैसला लिया है। अब से प्रीलिम्स परीक्षा के तुरंत बाद प्रोविजनल आंसर-की जारी की जाएगी। आयोग ने यह जानकारी सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे के ज़रिए दी है। इस कदम को UPSC ने परीक्षा प्रक्रिया को और पारदर्शी बनाने की दिशा में अहम पहल बताया है।
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क्यों लिया गया यह फैसला?
हर साल लगभग 5 लाख से अधिक उम्मीदवार सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा में शामिल होते हैं, जिनमें से सिर्फ 12–15 हजार अभ्यर्थी मुख्य परीक्षा के लिए चुने जाते हैं। कई अभ्यर्थियों की यह लंबे समय से मांग थी कि फाइनल रिज़ल्ट से पहले आंसर-की जारी की जाए, ताकि वे जान सकें कि मुख्य परीक्षा की तैयारी करें या अगले प्रयास पर ध्यान दें।
नई व्यवस्था के तहत क्या बदलेगा?
- अब उम्मीदवारों को प्रीलिम्स परीक्षा के तुरंत बाद प्रोविजनल आंसर-की मिलेगी और वे उस पर आपत्तियाँ दर्ज करा सकेंगे।
- हर आपत्ति के साथ उम्मीदवार को कम से कम तीन प्रमाणिक स्रोत देने होंगे।
- विशेषज्ञों की टीम आपत्तियों की जांच करेगी।
- फाइनल आंसर-की पहले की तरह अंतिम परिणाम के बाद ही जारी होगी।
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
UPSC ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि यह नीति बदलाव निष्पक्षता और पारदर्शिता बढ़ाने के लिए है। मामले की अगली सुनवाई 14 अक्टूबर को होगी। याचिकाकर्ताओं ने UPSC से आग्रह किया था कि वह राज्य लोक सेवा आयोग, IIT और IIMs की तरह परीक्षा के बाद तुरंत आंसर-की जारी करे।
अभ्यर्थियों में खुशी की लहर
दिल्ली में सिविल सेवा की तैयारी कर रहे अभ्यर्थी दक्ष शर्मा ने कहा यह फैसला हमारे लिए राहत भरा है। अब हमें जल्दी पता चलेगा कि मुख्य परीक्षा पर ध्यान देना है या अगले साल की तैयारी शुरू करनी है।
सिविल सेवा परीक्षा क्यों है खास?
UPSC की यह परीक्षा देश की सबसे प्रतिष्ठित और कठिन परीक्षाओं में से एक है। इसके जरिए IAS, IPS, IFS जैसे शीर्ष पदों के लिए चयन किया जाता है। परीक्षा तीन चरणों प्रीलिम्स, मुख्य परीक्षा और इंटरव्यू में होती है। अंतिम मेरिट लिस्ट मुख्य परीक्षा और साक्षात्कार के प्रदर्शन पर आधारित होती है।
पारदर्शिता की दिशा में बड़ा कदम
UPSC का यह नया निर्णय परीक्षा प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी, निष्पक्ष और विश्वसनीय बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकता है। यह कदम भारत के भावी नौकरशाहों के चयन में विश्वास और पारदर्शिता को मजबूत करेगा।
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