Samachar Post रिपोर्टर, रांची : झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (JSSC) की सीजीएल-2023 परीक्षा में कथित पेपर लीक को लेकर दायर जनहित याचिका पर बुधवार को झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि अब तक की जांच में पेपर लीक के कोई ठोस सबूत नहीं मिले हैं।
सरकार ने कहा, जांच में नहीं मिला लीक का प्रमाण
जस्टिस तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस राजेश शंकर की खंडपीठ में हुई सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर सेमहाधिवक्ता राजीव रंजन ने पक्ष रखा। उन्होंने कोर्ट को बताया कि जांच में किसी भी प्रकार का पेपर लीक सामने नहीं आया है। राजीव रंजन ने कहा कि कोर्ट के निर्देश पर संतोष मस्ताना से दोबारा पूछताछ की गई। उन्होंने स्वीकार किया कि एक बैंककर्मी युवती से बातचीत के दौरान उन्हें लगा था कि पेपर लीक हुआ है, क्योंकि कुछ प्रश्न पहले भी परीक्षाओं में आ चुके थे। लेकिन बाद में पता चला कि वह सिर्फ ‘गेस पेपर’ था, असली प्रश्नपत्र नहीं।
सरकार ने दिया तर्क परिणाम से साबित हुआ, लीक की बात गलत
सरकार की ओर से यह भी दलील दी गई कि यदि वास्तव में पेपर लीक हुआ होता, तो जिन जिलों से लीक की खबरें आईं, वहां सबसे अधिक अभ्यर्थी सफल होते। लेकिन धनबाद जिले का उदाहरण देते हुए बताया गया कि वहां कम संख्या में अभ्यर्थी सफल हुए, जबकि वहीं से लीक की खबर सामने आई थी। सरकार ने कोचिंग संस्थानों पर झूठी अफवाहें फैलाने का आरोप भी लगाया।
हाई कोर्ट ने परीक्षा परिणाम पर रोक बरकरार रखी
सुनवाई के दौरान अदालत ने फिलहाल JSSC CGL परीक्षा परिणाम पर लगी रोक को बरकरार रखा है। अब याचिकाकर्ताओं की ओर से 29 अक्टूबर को अपनी दलीलें पेश की जाएंगी।
याचिकाकर्ताओं की मांग, CBI से जांच कराई जाए
याचिकाकर्ता प्रकाश कुमार व अन्य ने अदालत में याचिका दायर कर पेपर लीक की जांच CBI से कराने की मांग की है।
उनकी ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अजीत कुमार और समीर रंजन ने पक्ष रखा।
गौरतलब है कि JSSC CGL-2023 की प्रारंभिक परीक्षा 28 जनवरी 2024 को आयोजित हुई थी। पेपर लीक की शिकायत के बाद परीक्षा को रद्द कर दिया गया था। इसके बाद 21 और 22 सितंबर 2024 को दोबारा परीक्षा कराई गई, लेकिन इस बार भी लीक की आशंका जताई गई। इसके बाद यह मामला हाई कोर्ट तक पहुंचा।
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मैंने सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ झारखंड से पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री ली है। पत्रकारिता के क्षेत्र में बतौर रिपोर्टर मेरा अनुभव फिलहाल एक साल से कम है। सामाचार पोस्ट मीडिया के साथ जुड़कर स्टाफ रिपोर्टर के रूप में काम कर रही हूं।