- लंबित 3500 पदों पर नियुक्ति, कंडम हो चुके इंडियन बैंक की बिल्डिंग धवस्त कर सेंट्रल इमरजेंसी बनाने के प्रस्ताव पर होगी चर्चा
- शासी परिषद की बैठक में सहमति के लिए 25 एजेंडें रखें जाएंगे, इनमें एक दर्जन वैसे एजेंडा शामिल जो अधिवक्ताओं ने कोर्ट में किए थे जमा
Samachar Post रिपोर्टर, रांची : हाईकोर्ट के निर्देश पर रिम्स शासी परिषद की बैठक 8 से 14 सितंबर के बीच की जानी है। चीफ जस्टिस ने सेवानिवृत जस्टिस को बैठक का ऑब्जर्वर बनाया है। न्यायालय से निर्धारित समय में 3 दिन बीत जाने के बाद जब स्वास्थ्य मंत्री ने बैठक की समय निर्धारित नहीं की, तो सेवानिवृत जस्टिस ने खुद शासी परिषद की बैठक 13 सितंबर को निर्धारित कर दी। रिटायर्ड जस्टिस अमरेश्वर सहाय ने रिम्स निदेशक को मैसेज के माध्यम से जानकारी दी है। उन्होंने कहा कि कोर्ट के निर्देश के बावजूद अबतक बैठक की तिथि की सूचना नही दी गई, ऐसे में 13 सितंबर सुबह 10:30 बजे बैठक की तिथि निर्धारित की जाती है। निदेशक ने यह सूचना शासी परिषद के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष को भी दे दी है।
इधर, रिम्स की ओर से बैठक की तैयारियां पूरी कर ली गई है। बीते सोमवार को ही विस्तृत एजेंडा स्वास्थ्य विभाग भेज िदए गए हैं। निदेशक डॉ. राजकुमार ने बताया कि इस बैठक में करीब 25 एजेंडों पर चर्चा होगी। जिसमें मुख्य रूप से मैनपावर नियुक्ति, इमरजेंसी के एक्सटेंशन, फैकल्टी नियुक्ति, रेजिडेंट नियुक्ति, रोस्टर क्लियरेंस समेत अन्य मुद्दे शामिल हैं।
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सहमति मिली तो 3500 पदों पर होगी मैनपावर की नियुक्ति
डॉ. राजकुमार ने बताया कि बैठक में शामिल एजेंडा में मुख्य रूप से लंबित रोस्टर, नियुक्ति आदि पर चर्चा की जानी है। कई विज्ञापन पूर्व से निकले हैं लेकिन वर्षाें से लंबित है। ऐसे में बैठक में सहमति लेने के बाद करीब 3500 पदों में नियुक्ति की जा सकेगी। इसमें फैकल्टी, नर्सिंग स्टाफ, थर्ड-फोर्थ ग्रेड स्टाफ समेत अन्य पद शामिल हैं। निदेशक के अनुसार, वर्तमान में जितने मैनपावर होने चाहिए उसके अनुपात में 30 से 35% भी कार्यरत नही हैं। नियुक्ति का रास्ता साफ होने से मरीज की दशा बदली जा सकती है।
इमरजेंसी एक्सटेंशन के प्रस्ताव पर भी होगी चर्चा
जीबी की बैठक में सेंट्रल इमरजेंसी के एक्सटेंशन पर भी चर्चा होगी। रिम्स के इमरजेंसी में मरीजों का अतिरिक्त दबाव बना रहता है। ऐसे में मरीजों को घंटों तक स्ट्रेचर में इलाज कराना पड़ता है। निदेशक ने रिम्स परिसर में इंडियन बैंक के कंडल भवन के स्थान पर सेंट्रल इमरजेंसी के एक्सपेंशन का प्लान तैयार किया है। कंडम भवन को धवस्त कर नए सीरे से इमरजेंसी बनाए जाएंगे। यह भवन सेंट्रल इमरजेंसी से करीब होगा। मरीज को वहां भर्ती करने के बाद तत्काल यहां शिफ्ट किया जा सकेगा। इसे भी बतौर एजेंडा शामिल किया गया है। बता दें कि इमरजेंसी में बेड कर कमी को लेकर अधिवक्ताओं की टीम ने भी सवाल उठाए थे।
इन एजेंडों को भी किया गया है शामिल
- रिम्स में नियुक्ति को लेकर रोस्टर क्लियरेंस के लिए फाइल कार्मिक विभाग भेजी जाती है, फिर 4 से 5 माह तक फाइल कार्मिक में घूमती रहती है। जबकि हाईकोर्ट का निर्देश है कि रिम्स अपने स्तर पर नियुक्ति कर सकता है। ऐसे में रोस्टर क्लियरेंस संबंधित नियमावमी में बदलाव पर भी बैठक में चर्चा होगी।
- सालों से रिम्स में कई मशीनें खराब पड़ी है। नई खरीद या मरम्मत के लिए भी विभाग से अप्रुवल लेनी पड़ती है। इसे भी रिम्स के स्तर से करने पर स्वीकृति लेने पर चर्चा होगी।
- रिम्स की पुरानी बिल्डिंग मरम्मत योग्य है या नहीं इसकी जांच आईआईटी धनबाद की टीम कर रही है, उनका क्या ऑब्जर्वेशन है इसकी जानकारी जीबी के सदस्यों को दी जाएगी।
- बिल्डिंग मेनटेनेंस को लेकर, इंजीनियरिंग व पीएचईडी की समस्या से संबंधित एजेंडा भी शामिल किया गया है।
- रिम्स में कई बड़े-छोटे उपकरण खरीदी जानी है, इसलिए एजेंडें में पर्चेज के मुद्दों को 3 भाग में शामिल किया गया है, इसपर गहनता से चर्चा होगी।
अधिवक्ताओं की टीम ने निरीक्षण के दौरान इन कमियों के साथ रिपोर्ट सौंपी थीं
- कैंसर मरीजों के लिए जरूरी मशीनों का अभाव, एमआरआई मशीन, पेट स्कैन मशीन और मेमोग्राफी मशीन उपलब्ध नहीं।
- रिम्स का फायर सिस्टम ठप, कभी भी बड़ी दुर्घटना की आशंका।
- दवाइयों का संकट और निजी फार्मेसी पर निर्भरता, डॉक्टर महंगी दवाइयां लिखते हैं, जरूरी दवाइयां अस्पताल में उपलब्ध नहीं।
- बर्न और ऑर्थो वार्ड बदहाल, फर्श टूटा-फूटा, उपकरण व बुनियादी सुविधाएं नदारद।
- नवजात इकाई (एसएनसीयू) में उपकरणों की भारी कमी, इन्फ्यूजन पंप मात्र 1, जबकि जरूरत 40 की।
- बर्न, ऑर्थो और ट्रॉमा डिपार्टमेंट में मशीनें बेकार, पुरानी मशीनें शोपीस की तरह टंगी, ऑपरेशन थिएटर की लाइट्स खराब।
- कार्डियो विभाग में स्टेंट और पेसमेकर का अभाव, स्टॉक नहीं, जरूरत पड़ने पर ऑर्डर किया जाता है।
- प्रबंधन और सुविधा की कमी, कोई बिलिंग काउंटर नहीं, मरीज बिना इलाज के फर्श पर पड़े, शौचालय और पीने के पानी की व्यवस्था नहीं।
- इमरजेंसी गेट के बाहर अतिक्रमण।
Reporter | Samachar Post
मैंने सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ झारखंड से पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री ली है। पत्रकारिता के क्षेत्र में बतौर रिपोर्टर मेरा अनुभव फिलहाल एक साल से कम है। सामाचार पोस्ट मीडिया के साथ जुड़कर स्टाफ रिपोर्टर के रूप में काम कर रही हूं।