Samachar Post रिपोर्टर, रांची : झारखण्ड के लेखक देव कुमार ने रांची के उपायुक्त को एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव सौंपा है, जिसमें आंगनबाड़ी केंद्रों की दीवारों पर बिरहोर, हिन्दी–अंग्रेज़ी चित्रात्मक लेखन कराने का अनुरोध किया गया है। यह पहल विशेष रूप से पीवीटीजी समुदाय की भाषा बिरहोर के संरक्षण और समावेशी शिक्षा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से की जा रही है।
भाषा और संस्कृति का संरक्षण
देव कुमार, जो भारतवाणी परियोजना (शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त) से जुड़े हैं, का मानना है कि यह योजना झारखंड ही नहीं, बल्कि पूरे भारत के लिए मॉडल परियोजना बन सकती है। उनका कहना है कि बिरहोर भाषा का संरक्षण केवल शब्दों तक सीमित नहीं है, बल्कि इससे जुड़ी संस्कृति, पहचान और विरासत भी संरक्षित होगी।
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बच्चों के माध्यम से समावेशी शिक्षा
देव कुमार ने कहा, आंगनबाड़ी शिक्षा के माध्यम से बिरहोर भाषा और संस्कृति को बच्चों तक पहुंचाना सबसे प्रभावी तरीका है। यह न केवल शिक्षा में समावेशन बढ़ाएगा, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए हमारी धरोहर को सुरक्षित रखेगा।
यह पहल नई शिक्षा नीति 2020, पोषण अभियान, समग्र शिक्षा अभियान और प्रधानमंत्री PVTG विकास मिशन (2023) के अनुरूप है। प्रस्ताव के स्वीकृति मिलने पर झारखंड की विलुप्तप्राय भाषाओं को राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर नई पहचान मिलेगी।
चित्रात्मक लेखन से सीखने में आसानी
प्रस्ताव में कहा गया है कि चित्रात्मक लेखन बच्चों के लिए आकर्षक और समझने में आसान होगा, जिससे भाषा सीखने और अपनाने की प्रक्रिया सहज और प्रभावी होगी। इस पहल के लागू होने से न केवल शिक्षा और भाषा संरक्षण में सुधार होगा, बल्कि PVTG समुदाय की सामाजिक और सांस्कृतिक स्थिति भी मजबूत होगी। यह कदम झारखंड और भारत में विलुप्तप्राय भाषाओं के पुनर्जीवन और संवर्धन के लिए मिसाल साबित होगा।
Reporter | Samachar Post
मैंने सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ झारखंड से पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री ली है। पत्रकारिता के क्षेत्र में बतौर रिपोर्टर मेरा अनुभव फिलहाल एक साल से कम है। सामाचार पोस्ट मीडिया के साथ जुड़कर स्टाफ रिपोर्टर के रूप में काम कर रही हूं।