Samachar Post रिपोर्टर, रांची :मोक्ष की नगरी गयाजी पितृपक्ष 2025 के दौरान एक ऐतिहासिक क्षण का गवाह बनी, जब देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए पारंपरिक विधि से पिंडदान किया। यह पहली बार है जब किसी राष्ट्रपति ने अपने कार्यकाल के दौरान गयाजी में श्राद्ध कर्म संपन्न किया हो।
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राष्ट्रपति का आस्था से जुड़ाव
राष्ट्रपति मुर्मु ने यह पिंडदान अपने पैतृक गांव ओडिशा के मयूरभंज जिले के ऊपरबेड़ा के पूर्वजों के नाम पर किया। अनुष्ठान का संचालन गयाजी के वरिष्ठ पिंडदानाचार्य राजेश लाल कटारियार के मार्गदर्शन में हुआ। उनके पास राष्ट्रपति के गांव के पूर्वजों का पारंपरिक बही-खाता भी सुरक्षित है।
गयाजी में सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम
राष्ट्रपति के आगमन को देखते हुए गयाजी में अभूतपूर्व सुरक्षा व्यवस्था की गई थी। विष्णुपद मंदिर, फल्गु नदी और अक्षयवट क्षेत्र में भारी पुलिस बल की तैनाती रही। साथ ही, यातायात और श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए प्रशासन ने विशेष इंतजाम किए।
परंपरा को मिला नया सम्मान
पितृपक्ष के दौरान हर साल हजारों श्रद्धालु गयाजी में अपने पितरों के लिए पिंडदान करते हैं। लेकिन इस बार राष्ट्रपति के स्वयं शामिल होने से इस धार्मिक परंपरा को राष्ट्रीय स्तर पर एक नया सम्मान और मान्यता मिली है।
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