Samachar Post डेस्क, रांची : शारदीय नवरात्रि का पावन पर्व पूरे देश में श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जा रहा है। आज यानी शनिवार को पंचम नवरात्रि है, जिस दिन मां दुर्गा के पांचवें स्वरूप मां स्कंदमाता की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। मान्यता है कि मां स्कंदमाता की उपासना से नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है और जीवन में असंभव कार्य भी संभव हो जाते हैं।
मां स्कंदमाता का स्वरूप और महत्व
मां स्कंदमाता की गोद में भगवान कार्तिकेय (स्कंद) विराजमान हैं। इसी कारण उन्हें स्कंदमाता कहा जाता है। कमल पर विराजमान होने के कारण वे पद्मासना देवी भी कहलाती हैं। उनका वाहन सिंह है, जो साहस और शक्ति का प्रतीक है।
मां स्कंदमाता की पूजा से संतान सुख, मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है।
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पूजा की विधि
पंचमी तिथि पर प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। मां की प्रतिमा को गंगाजल से स्नान कराएं और पुष्प, रोली, कुमकुम अर्पित करें। मां को मिष्ठान और पांच प्रकार के फलों का भोग लगाएं। श्रद्धा-भक्ति के साथ मां की आरती करें और मन में शुद्ध भाव रखें।
शुभ भोग और रंग
मां स्कंदमाता को केला और खीर का भोग विशेष रूप से प्रिय है। पूजा में सफेद वस्त्र पहनना शुभ माना गया है, जो शांति और पवित्रता का प्रतीक है पीले वस्त्र भी शुभ फलदायक माने जाते हैं।
संतान सुख और आशीर्वाद
भक्तों का विश्वास है कि मां स्कंदमाता की पूजा से संतान सुख की प्राप्ति होती है। उनकी कृपा से परिवार में सुख-शांति और समृद्धि आती है।
मां स्कंदमाता का मंत्र
पूजा के समय इस मंत्र का जाप विशेष फलदायी माना जाता है –
“या देवी सर्वभूतेषु माँ स्कंदमाता रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥”
Reporter | Samachar Post
मैंने सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ झारखंड से पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री ली है। पत्रकारिता के क्षेत्र में बतौर रिपोर्टर मेरा अनुभव फिलहाल एक साल से कम है। सामाचार पोस्ट मीडिया के साथ जुड़कर स्टाफ रिपोर्टर के रूप में काम कर रही हूं।