Samachar Post रिपोर्टर, रांची : केंद्रीय कोयला मंत्री जी. किशन रेड्डी ने झारखंड दौरे के दौरान बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की ओर से मांगी जा रही बकाया राशि को लेकर एक समिति गठित की गई है। इस समिति में कोयला मंत्रालय और झारखंड सरकार दोनों के अधिकारी शामिल हैं। अब तक 2-3 बैठकें हो चुकी हैं और जल्द ही इस पर ठोस निर्णय लिया जाएगा।
मंत्री ने साफ किया कि कोयला मंत्रालय का मकसद पैसा कमाना नहीं, बल्कि देश की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करना है ताकि भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लक्ष्य की ओर आगे बढ़ाया जा सके।
माइंस वाटर का उपयोग और पर्यावरण संरक्षण
रेड्डी ने कहा कि बंद हो चुकी खदानों (माइंस) के पानी का बेहतर उपयोग करने पर सरकार काम कर रही है। ओडिशा, छत्तीसगढ़, झारखंड और गोवा में इस दिशा में प्रयास जारी हैं। देश में 143 खदानें ऐसी हैं जिनका क्लोजर अभी होना बाकी है। अब तक 9 खदानें बंद की जा चुकी हैं और अगले 2-3 सालों में सभी खदानों को नियमानुसार बंद कर दिया जाएगा।
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स्थानीय लोगों को होगा फायदा
मंत्री ने बताया कि माइंस क्लोजर के बाद उनके पानी के उपयोग से स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा और राज्य को भी फायदा होगा। इस पूरी प्रक्रिया में पर्यावरण संरक्षण और रोजगार सृजन दोनों पर ध्यान दिया जा रहा है।
झरिया के लिए नया मास्टर प्लान
धनबाद के झरिया क्षेत्र के लिए केंद्रीय मंत्री ने नया मास्टर प्लान लाने की घोषणा की। इसके तहत 60 लोगों की टीम बनाई जाएगी, जिनमें से 50 की नियुक्ति कोल मंत्रालय कर चुका है। अब राज्य सरकार को सीईओ नियुक्त करना है। योजना में पुनर्वास, रोजगार, आवास, स्कूल और अस्पताल जैसी सुविधाएं शामिल होंगी।
अवैध खनन पर चिंता
अवैध खनन से हो रही दुर्घटनाओं पर चिंता जताते हुए रेड्डी ने कहा कि इस विषय पर वे मुख्यमंत्री से बातचीत करेंगे। खनन क्षेत्रों में सुरक्षा बढ़ाने के लिए आधुनिक टेक्नोलॉजी का उपयोग किया जा रहा है और कोल कंपनियों को कड़े निर्देश दिए जा रहे हैं।
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मैंने सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ झारखंड से पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री ली है। पत्रकारिता के क्षेत्र में बतौर रिपोर्टर मेरा अनुभव फिलहाल एक साल से कम है। सामाचार पोस्ट मीडिया के साथ जुड़कर स्टाफ रिपोर्टर के रूप में काम कर रही हूं।