Samachar Post डेस्क, रांची :बिहार विधानसभा चुनाव के रण में कांग्रेस ने प्रियंका गांधी को मैदान में उतार दिया है। 26 सितम्बर को वे पूर्वी चंपारण के मोतिहारी गांधी मैदान से अपनी पहली रैली करेंगी। दोपहर 1 बजे की जनसभा के बाद प्रियंका पटना के सदाकत आश्रम में महिलाओं से संवाद करेंगी। कांग्रेस की रणनीति साफ है प्रियंका के ज़रिए नीतीश कुमार के महिला वोट बैंक में सेंध लगाना।
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प्रियंका का महिला वोटरों पर फोकस
प्रियंका की पहली चुनावी सभा मोतिहारी में रैली से होगी और फिर पटना में महिलाओं से मुलाकात करेंगी। प्रियंका गांधी की छवि और अपील से महिला वोटरों साथ करने का है टारगेट। वहीं नीतीश कुमार उसी दिन 1 करोड़ से ज़्यादा महिलाओं को ₹10,000 ट्रांसफर करेंगे। पिछले 20 सालों से नीतीश की राजनीति में महिलाएं किंगमेकर रही हैं।
प्रियंका का पिछला रिकॉर्ड
- असम (2021): 6 जनसभाएं, गृहिणियों को ₹2000 और 200 यूनिट बिजली का वादा, चाय बागान में काम कर महिलाओं से कनेक्ट होने की कोशिश।
नतीजा: कांग्रेस को सिर्फ 29/126 सीटें।
- यूपी (2022): “लड़की हूं, लड़ सकती हूं” नारा, महिला मेनिफेस्टो, 40% टिकट महिलाओं को।
नतीजा: कांग्रेस सिर्फ 2/403 सीटें जीत पाई।
विशेषज्ञों का विश्लेषण
प्रियदर्शी रंजन (वरिष्ठ पत्रकार): प्रियंका का बॉडी लैंग्वेज जनता को जोड़ता है, लेकिन नीतीश ने महिलाओं को मजबूत किया है। बिहार में असर सीमित हो सकता है।
प्रवीण बागी (राजनीतिक विश्लेषक): प्रियंका की छवि साफ-सुथरी है, युवा-महिलाओं में अपील है। लेकिन भीड़ को वोट में बदलना कठिन। नीतीश की योजनाओं से महिलाओं में असंतोष नहीं है।
नीतीश का महिला वोट बैंक : 20 साल की स्ट्रॉन्ग नींव
- पंचायतों में 50% आरक्षण
- शराबबंदी लागू
- विधवा-बुजुर्गों को पेंशन
- कन्या उत्थान योजना – 12वीं पास पर ₹10,000, ग्रेजुएशन पर ₹50,000
- कन्या विवाह योजना – गरीब बेटियों की शादी में ₹50,000 मदद
यही वजह है कि बिहार की राजनीति में महिलाएं अब निर्णायक भूमिका निभा रही हैं।
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